“सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बुलडोजर कार्रवाई में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने पर 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बिना नोटिस किसी का घर तोड़ना अराजकता है।”
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बिना नोटिस दिए बुलडोजर कार्रवाई पर योगी सरकार को कड़ा झटका दिया है। इस आदेश के तहत यूपी सरकार को 25 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा। मामला एक घर को तोड़ने का था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और प्रभावित परिवार को कोई नोटिस नहीं दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बिना नोटिस के किसी का घर तोड़ना कानून और नागरिक अधिकारों के खिलाफ है।
CJI ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “किसी के भी घर में बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए घुसना और उसे नुकसान पहुंचाना अराजकता को बढ़ावा देने जैसा है।” उन्होंने यूपी सरकार से सवाल किया कि बिना नोटिस दिए आखिरकार किस आधार पर घर तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई।
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इस मामले में यूपी सरकार की ओर से अदालत में दाखिल हलफनामे में स्वीकार किया गया कि नोटिस जारी नहीं किया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे असंवैधानिक कार्रवाई करार दिया और प्रभावित पक्ष को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला योगी सरकार के बुलडोजर नीति पर एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाइयों में कानूनी प्रक्रिया को अधिक मजबूती से लागू करने का संकेत मिला है।
फैक्ट 1: सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यूपी में बुलडोजर नीति की आलोचना के बीच आया है, जो कानून और न्याय प्रणाली के दायरे में आते हुए किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता पर जोर देता है।
फैक्ट 2: उत्तर प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बुलडोजर कार्रवाई को प्रोत्साहित किया था, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में नोटिस के बिना कार्रवाई असंवैधानिक है।
फैक्ट 3: कानून विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले का प्रभाव अन्य राज्यों में भी दिख सकता है, जहां बिना नोटिस और कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई की जाती है।
फैक्ट 4: सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नागरिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में राज्य सरकारों को नागरिकों के अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाएगा।
फैक्ट 5: इस मामले से जुड़े निर्णय ने राज्य सरकारों के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि किसी भी प्रकार की कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रिया और नागरिक अधिकारों का पालन करना अनिवार्य है।
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मनोज शुक्ल