लखनऊ : पिछले कुछ समय से देश में एससी / एसटी एक्ट को लेकर काफी बहस और हंगामा हो रहा है। कुछ दिनों पहले ही इस एक्ट को लेकर दो बड़े आंदोलन भी हो चुके है। लेकिन अब हाल ही में इलाहबाद हाई ने इस मामले में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिससे दलित समाज में फिर नाराजगी हो सकती है।
दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एससी / एसटी एक्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए इस मामले में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी (नियमित / रूटीन गिरफ्तारी ) करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के 2014 में दिए गए एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर इन आरोपियो को गिरफ्तार नहीं कर सकती। दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय एससी / एसटी एक्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमे एक एक दलित महिला और उसकी बेटी ने चार लोगों पर उनपर जानलेवा हमला करने एक आरोप लगाए है।
गौरतलब है कि 21 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इस मामले को लेकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों ने पुरे देश में विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद बीजेपी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन करते हुए इसे मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया था।