“कानपुर में 20 साल पुराने छात्रवृत्ति घोटाले में CBI कोर्ट ने वरिष्ठ लिपिक समेत 5 दोषियों को 3 साल की सजा सुनाई। 13 फर्जी कॉलेज बनाकर 15.82 लाख की हेराफेरी की गई थी।”
कानपुर: 20 साल पुराने छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में आखिरकार CBI कोर्ट का फैसला आ गया। कोर्ट ने शुक्रवार को वरिष्ठ लिपिक समेत 5 लोगों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई। इन सभी पर 13 फर्जी कॉलेजों के नाम पर 15,82,000 रुपये का भुगतान लेने का आरोप था।
घोटाले की पूरी कहानी
यह मामला 2002 का है, जब छात्रवृत्ति के नाम पर 13 डमी कॉलेजों को दिखाकर 15.82 लाख रुपये का गबन किया गया था। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की और 2002 में मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि इन कॉलेजों का अस्तित्व ही नहीं था और फर्जी दस्तावेजों के सहारे यह पूरी रकम हड़प ली गई।
CBI कोर्ट का फैसला
20 साल बाद CBI कोर्ट ने वरिष्ठ लिपिक समेत पांचों दोषियों को तीन साल की सजा और आर्थिक दंड सुनाया। हालांकि, फैसला सुनाए जाने के बाद सभी दोषी गायब हो गए।
क्या है घोटाले की सजा?
CBI कोर्ट ने इस केस में 3 साल की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के घोटाले न केवल शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए बने योजनाओं का भी दुरुपयोग होता है।
CBI की भूमिका और आरोपियों की तलाश
CBI ने इस मामले की गहन जांच की और दोषियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। हालांकि, सजा के बाद सभी आरोपी फरार हो गए हैं। पुलिस और जांच एजेंसियां उनकी तलाश में जुट गई हैं।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल