“प्रदेश भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में अब बैकडोर से नियुक्तियों की जगह कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निगरानी में, जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होंगे। इस चुनाव प्रक्रिया में युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी और 5 दिसंबर तक बूथ कमेटियों का गठन पूरा कर लिया जाएगा।”
लखनऊ। प्रदेश भाजपा में होने वाले संगठनात्मक चुनावों में इस बार कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, और किसी भी सांसद या विधायक के करीबी लोगों को जिलाध्यक्ष या मंडल अध्यक्ष की कुर्सी नहीं दी जाएगी। पार्टी की कोशिश है कि करीब 10 साल बाद लोकतांत्रिक तरीके से कार्यसमिति का गठन किया जाए, जिससे पार्टी के मूल काडर वाले कार्यकर्ताओं को मौका मिल सके। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में हुई कार्यशाला में इस चुनाव प्रक्रिया की रूपरेखा पर चर्चा की गई, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई।
इन पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि वे उम्मीदवारों के चयन में पार्टी के मूल सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखें। इस बार यह भी तय किया गया है कि किसी भी अध्यक्ष को तीसरी बार पद नहीं मिलेगा, और जिन बूथों पर 50 सदस्य नहीं बनेंगे, उनका गठन भी नहीं होगा। 5 दिसंबर तक सभी बूथ कमेटियों का गठन पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्षों का चुनाव पूरा कर लिया जाएगा।
इस चुनाव प्रक्रिया के दौरान, युवा और महिला कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से तरजीह दी जाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने यह भी कहा कि इस बार संगठन के विस्तार में युवा वर्ग को महत्वपूर्ण भूमिका दी जाएगी। साथ ही, कार्यकर्ताओं को पार्टी के विचारधाराओं से प्रेरित होकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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