लखनऊ। असम विधानसभा की महिला एवं बाल कल्याण समिति के सदस्यों के एक अध्ययन दल ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से शिष्टाचार भेंट की। मुलाकात के दौरान, अध्ययन दल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यप्रणाली, इसके ऐतिहासिक महत्व और यहां किए गए हालिया सुधारों के बारे में विस्तार से चर्चा की।
विधानसभा अध्यक्ष ने अध्ययन दल का स्वागत करते हुए कहा कि देश के हर राज्य के नागरिकों को अपनी विधानसभा के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विधायिका की प्रक्रियाओं और उसकी भूमिका को समझना किसी भी लोकतांत्रिक समाज के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है। जब लोग अपनी विधानसभा के कामकाज को समझेंगे, तभी वे विधायिका के महत्व को सही ढंग से पहचान सकेंगे और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हो सकेंगे।
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उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में हाल ही में किए गए सुधारों के कारण अब यहां के लोग अपनी विधानसभा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक हो रहे हैं। इन बदलावों ने आम जनता की धारणा में सकारात्मक बदलाव लाया है। जहां पहले विधायिका के प्रति लोगों की रूचि कम थी, वहीं अब समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग विधानसभा में आकर इसकी प्रक्रियाओं को समझने और देखने के लिए आगे आ रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर जोर दिया कि जनमानस में विधायिका के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। यह जागरूकता लोगों को यह समझने में मदद करेगी कि विधायिका का क्या महत्व है और इसका उनके जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि लोग अपनी विधानसभा और विधायिका के कामकाज को जानेंगे, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति उनकी भागीदारी और अधिक प्रभावी हो सकेगी।
असम विधानसभा की महिला एवं बाल कल्याण समिति के इस अध्ययन दल का नेतृत्व समिति की सभापति सुमन हरिप्रिया ने किया। उनके साथ समिति की सदस्य नंदिता दास, प्रदीप सरकार, अशरफुल हुसैन, और निजाम उद्दीन चौधरी भी शामिल थे। इसके अलावा, अध्ययन दल में कई अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे, जो इस दौरे के दौरान यूपी विधानसभा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे थे।