लखनऊ। यूपी में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गांवों में जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लागू है। इसके तहत प्रत्येक पंजीकृत परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। मनरेगा के तहत कार्य कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत के अलावा अन्य कार्यदायी विभागों को सौंपी गई है। विकास कार्यों में खराब गुणवत्ता एवं गड़बड़ियों को रोकने के साथ ही गुणवत्ता की जांच के लिए स्टेट क्वालिटी मॉनीटर नियुक्त किए हैं। ये आवंटित जिलों में मनरेगा की परियोजनाओं को चिह्नित करके गुणवत्ता की जांच करने का कार्य कर रहे हैं।
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मनरेगा योजना के अंतर्गत निर्मित एवं निर्माणाधीन परिसंपत्तियों की जांच हेतु प्रदेश के मण्डलों में स्टेट क्वालिटी मॉनीटर (SQM) तैनात किए गए हैं। जो मनरेगा योजनांतर्गत हो रहे कार्यों की निगरानी करते हैं। प्रत्येक कार्य की निगरानी 2 चरणों में किये जाने का प्रावधान है यानि निर्माण के दौरान और निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात वे कार्यों के लिए सुधारात्मक सलाह और सुझाव देते हैं जिसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाता है। इनकी तैनाती का उद्देश्य जिले में मनरेगा योजनांतर्गत निष्पादित कार्यों का कम से कम 10 प्रतिशत की निगरानी और मूल्यांकन करना है। इन 10 प्रतिशत कार्यों में से कम से कम 5.00 लाख रुपए और उससे अधिक का व्यय कच्चे कार्यों (भूमि) पर और पक्के कार्यों पर 10.00 लाख रुपए का व्यय होना शामिल है।
स्टेट क्वालिटी मॉनीटर के उन्हें चयनित परियोजनाओं का निरीक्षण करते हुए स्थलीय कार्यों की गुणवत्ता परीक्षण करना तथा गुणवत्ता में सुधार हेतु सभी संबंधित को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना है। मनरेगा कार्यों के क्रियान्वयन से संबंधित तकनीकी कार्मिकों को पॉवर प्वाइंट के माध्यम से स्थलीय निरीक्षण के दौरान समुचित प्रशिक्षण देना तथा विभिन्न प्रतिभागियों को जोड़ते हुए यथा आवश्यक ऑनलाइन प्रशिक्षण भी प्रदान करना इनका का दायित्व है।
आयुक्त, ग्राम्य विकास, उत्तर प्रदेश जी0एस0 प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश के सभी मण्डलों के लिए स्टेट क्वालिटी मॉनीटर तैनात किए गए हैं। सभी SQM को मनरेगा योजना के अंतर्गत हो रहे कार्यों की निगरानी हेतु निर्देशित भी किया जा चुका है। स्टेट क्वालिटी मॉनीटर एक महीने में कम से कम 10 दिनों का दौरा करने के निर्देश दिए गए हैं तथा अपनी जांच/निरीक्षण रिपोर्ट संबंधित जिला कार्यक्रम समन्वयक/कार्यक्रम अधिकारी को सुधारात्मक कार्यवाही हेतु भेजने को कहा गया है।