महाकुम्भ 2025 में विदेशी श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर भारत की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव किया। संगम घाट पर गूंजे जय श्री राम और हर हर गंगे के जयकारे, जिससे महाकुम्भ ने विश्व एकता का प्रतीक बनकर एक नई ऊँचाई हासिल की।
महाकुम्भनगर, 13 जनवरी : महाकुम्भ इस बार केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं का केंद्र बन गया है। संगम घाट पर विदेशी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इसे विश्व एकता का प्रतीक बना दिया है। स्पेनिश, जर्मन, रशियन और फ्रेंच जैसी विभिन्न भाषाओं में जय श्री राम और हर हर गंगे के जयकारे गूंज रहे थे। महाकुम्भ के इस भव्य आयोजन में शामिल हुए श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों को धोने और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करने पहुंचे थे।
जर्मनी की रहने वाली क्रिस्टीना ने कहा, “यहां आकर आत्मा को शांति मिलती है। महाकुम्भ का अनुभव अविस्मरणीय है।” रूस से आए मिखाइल ने इसे अपने जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव बताया, जबकि इटली और ऑस्ट्रेलिया से आए श्रद्धालुओं ने महाकुम्भ की भव्यता और भारत की संस्कृति की सराहना की।महाकुम्भ न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महान आयोजन है, जो भारत के गौरव को दुनिया भर में प्रदर्शित करता है।
इस आयोजन ने सनातन संस्कृति के प्रति विदेशी श्रद्धालुओं में गहरी रुचि और आस्था उत्पन्न की है।महाकुम्भ का संगम घाट इस बार एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गया है, जहां विदेशी भक्तों के लिए भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति का वास्तविक अनुभव हुआ। महाकुम्भ ने दुनिया को यह संदेश दिया कि आध्यात्मिकता और धर्म केवल एक देश या संस्कृति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये विश्व के हर कोने तक फैल सकते हैं।
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