“महाकुम्भ 2025 में कारोबार और परोपकार का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर बड़ी संख्या में संस्थाओं ने भंडारे का आयोजन किया, जबकि ठेले रेहड़ी वालों के व्यवसाय में भी उछाल आया। व्यापार और परोपकार का मिलाजुला दृश्य श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना।”
महाकुम्भनगर। महाकुम्भ 2025 में संगम तट पर आस्था और विश्वास के साथ-साथ कारोबार और परोपकार का अनूठा संगम भी देखने को मिल रहा है। महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व, पौष पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया, जबकि मेला क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं और दुकानदारों ने भी अपनी सेवाओं से लोगों को आकर्षित किया।
भंडारे और निःशुल्क भोजन वितरण: महाकुम्भ में परोपकार का महत्वपूर्ण योगदान विभिन्न संस्थाओं और साधु संतों द्वारा दिए जा रहे भंडारों से हो रहा है। बड़ी संख्या में संस्थाओं ने श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन, चाय, खिचड़ी और पूड़ी-सब्जी वितरित की। सतुआ बाबा समेत कई साधु संतों ने शिविरों में रुकने और भोजन का प्रबंध किया।
व्यापार में उछाल: वहीं, दूसरी ओर मेला प्रशासन द्वारा आवंटित स्टॉल्स और ठेले-रेहड़ी वालों के लिए भी यह अवसर बड़ा बन गया है। ये दुकानदार प्रयागराज और प्रदेश के अन्य हिस्सों से आए हैं और श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने का सामान, पूजा सामग्री और श्रंगार के सामान बेच रहे हैं।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा था कि महाकुम्भ प्रयागराज और उत्तर प्रदेश की इकॉनमी को मजबूती देगा, और इस मौके पर व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा। पहले दिन ही भारी संख्या में श्रद्धालु इन दुकानों से खरीदारी करते हुए नजर आए। खाने-पीने के सामान की खरीदारी सबसे ज्यादा हुई, और दुकानदारों ने भी बताया कि उन्हें इस मौके से अच्छा लाभ हो रहा है।
आकर्षक व्यापारिक गतिविधियाँ: महाकुम्भ में व्यापार भी धूमधाम से चल रहा है। हरदोई के रामकुमार, जो यहां खाने का सामान बेच रहे हैं, ने बताया कि उन्हें पुण्य कमाने का अवसर मिला है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। भदोही से आए सुनील ने कहा कि वे 45 दिनों तक महाकुम्भ में हैं और श्रद्धालुओं को सर्दी में चाय देकर आय अर्जित कर रहे हैं।
महाकुम्भ में इस संगम के माध्यम से एक साथ परोपकार और व्यापार का संयोग है, जो न केवल श्रद्धालुओं की सेवा करता है, बल्कि स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा देता है।
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