महाकुम्भ में बिछड़े श्रद्धालुओं की मदद के लिए बनाए गए शिविर और खोया पाया केंद्रों का योगदान अहम रहा। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व पर घाटों पर तैनात पुलिसकर्मियों और लाउडस्पीकर से उद्घोषणा के माध्यम से अपनों से मिले लोग।
महाकुम्भ नगर। प्रयागराज में हो रहे महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पर संगम तट से लेकर सभी घाटों पर बिछड़े श्रद्धालुओं के लिए मदद का सिलसिला जारी रहा। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के शिवम और युवराज जैसे कई लोग भूला भटका शिविर में पहुंचे और उनकी पहचान की उद्घोषणा लाउडस्पीकर पर की गई। इसके बाद वे अपने परिजनों से मिल सके। महाकुम्भ प्रशासन ने इस अवसर पर भूले-भटके लोगों के लिए शिविर और खोया-पाया केंद्रों का संचालन किया, जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का भी सहारा लिया गया।
महाकुम्भ में स्नान करने आए श्रद्धालुओं के लिए घाटों पर तैनात पुलिसकर्मी और प्रशासन ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि बिछड़े हुए लोग जल्दी से एक-दूसरे से मिल सकें। पौष पूर्णिमा के दिन जब भारी संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए पहुंचे, तो इसी प्रकार की उद्घोषणाओं के माध्यम से बिछड़े हुए लोगों को राहत मिली। इसके अलावा, खोया-पाया केंद्रों का भी संचालन किया गया, जहां परिवारों के पुनर्मिलन के लिए लगातार प्रयास किए गए।
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