लखनऊ। मुद्रा स्फति का राक्षस अब जल्द ही प्राइम मिनस्टर मोदी के कब्जे में होगा। इसका जाल पीएम ने रिजर्व बैंक के साथ मिल कर गोपनीय रूप से साल भर पहले ही बिछाना शुरू कर दिया था।
दरअसल मनी लॉड्री और जाली करेंसी के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहे ‘मनी डेमॉन’ पर नकेल कसने के करीब है। कारोबारी बाजार में आई मंदी को काबू में लाने का भी प्लान 6 महीने पहले ही बना लिया गया था। तीन महीने पहले से 500 और 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई शुरू हो गई थी।
रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के 3.5 अरब नोट छापे यानि इसका कुल मूल्य 7 लाख करोड़ रुपये है। सभी बैंकों के मुद्रा प्रबंधन डिवीजन के प्रमुखों को सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई से गोपनीय संदेश आया, जिसमें उन्हें मंगलवार को मुख्यालय में मौजूद रहने को कहा गया। अगले दिन सुबह उन्हें सीलबंद बक्से दिए गए। कहा गया कि इसमें दो हजार के नए नोट हैं।
सभी प्रमुखों को निर्देश दिया गया कि वे इस संबंध में किसी से बात न करें और आरबीआई के अगले आदेश के बाद ही इन बक्सों को खोलें। मंगलवार शाम जब सरकार ने 1000 और 500 के नोट पर पाबंदी का सार्वजनिक ऐलान किया। तभी पता चला कि इन बक्सों में दो हजार के अलावा 500 के भी नए नोट हैं।
साफतौर पर वित्तीय क्षेत्र में यहां तक की बैंकों के चेयरमैन के लिए भी यह चौंकाने वाला फैसला था। हालांकि 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई की सूचना गोपनियता बरतने के बावजूद लीक हो गई। दो हजार के नोट छपने की सूचना कुछ दिनों पहले हैदराबाद के मुद्रा छपाईखाने से लीक हुई थी। इसके बावजूद कोई भी यह पूर्वानुमान नहीं लगा पाया कि सरकार नोटों पर पाबंदी जैसा का कोई कदम उठा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और तब के गवर्नर रघुराम राजन के अलावा इस योजना की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के सिर्फ कुछ अधिकारियों को थी। यह पूरी योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाई थी, जिन्होंने 2014 के चुनाव काले धन पर कड़े प्रहार का वादा किया था।
इस साल मार्च तक 6.3 अरब एक हजार वाले नोट सर्कुलेशन में थे। यानि इसका मूल्य 6,30, 000 करोड़ रुपये हुआ। वहीं 15.7 अरब 500 वाले नोट सर्कुलेशन में थे। इसका मूल्य 7,85,000 करोड़ हुआ। फिलहाल 500 रुपये के नोटों की छपाई कम हुई है।