“मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पार्टी पदाधिकारियों से जनहित के लिए संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने जातिवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ दलितों और बहुजनों को एकजुट होने की जरूरत जताई।”
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने आज उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों से संबोधित करते हुए देश और समाज को संकीर्ण जातिवादी और साम्प्रदायिक तत्वों से मुक्त करने के लिए संघर्ष को और तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने विशेष रूप से दलितों और अन्य अम्बेडकरवादी बहुजन समुदायों से एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिए संघर्ष को मजबूती से जारी रखने की बात कही।
मायावती का सरकार और पार्टी के रवैये पर हमला
मायावती ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही गरीब विरोधी और धन्नासेठ समर्थक नीतियों का पालन करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन पार्टियों के नेतृत्व में जनता में बढ़ते आक्रोश से ध्यान भटकाने के लिए जातिवादी और साम्प्रदायिक हथकंडे अपनाए जाते हैं, जिससे चुनावों में इन पार्टियों को लाभ मिलता है।
यूपी और उत्तराखंड में गरीबी और बेरोजगारी
मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि इन राज्यों में महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ेपन की समस्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने इसे दुखद बताते हुए कहा कि यहां के करोड़ों लोग आज भी अंधकारमय जीवन जीने को मजबूर हैं, जो लोकतंत्र और सरकार की विफलता को दर्शाता है।
चुनावी प्रक्रिया और लोकतंत्र की सुरक्षा
मायावती ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और धनबल या बाहुबल से मुक्त चुनावों की अहमियत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास अब कम हो गया है, जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। इसीलिए, सभी लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी चाहिए, ताकि संविधान और लोकतंत्र को खतरा न पहुंचे।
संसद के शीतकालीन सत्र पर टिप्पणी
इसके साथ ही, मायावती ने संसद के शीतकालीन सत्र के बारे में भी बात की और कहा कि अडाणी समूह और संभल मस्जिद से जुड़े विवादों के कारण संसद की कार्रवाई ठप होनी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि संसद की कार्रवाई को सुचारू रूप से चलाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि देश की समस्याओं का समाधान हो सके।
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