TRAI यानी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने MNP प्रोसेस में बड़ा बदलाव किया है। पिछले कई महीने से MNP प्रोसेस में बदलाव की बात चल रही थी। ट्राई ने 13 दिसंबर को इस पर मुहर लगा दी है। ट्राई के इस नए नियम से अब MNP कराना और भी सरल हो गया है। अब किसी भी ग्राहक को अपना टेलिकॉम ऑपरेटर बदलने के लिए 7 दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
क्या है TRAI का नया नियम?
TRAI के नए नियम के मुताबिक महज दो दिन में ही MNP की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। ट्राई के इस नियम से ग्राहकों को अपने टेलिकॉम ऑपरेटर को बदलने के लिए ज्यादा लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस नए नियम के मुताबिक अगर ग्राहक अपने होम सर्किल के टेलिकॉम ऑपरेटर को बदलना चाहता है तो इसके लिए ग्राहकों को 2 दिन का समय लगेगा। वहीं, ग्राहक अगर किसी अन्य टेलिकॉम सर्किल में स्वीच करना चाहता है तो इस प्रक्रिया को पूरा करने में 4 दिन का समय लगेगा।
UPC की समय सीमा भी घटाई गई
TRAI ने टेलिकॉम्यूनिकेशन मोबाइल नंबर प्रोटेबिलिटी (सातवां संशोधन) रेग्यूलेशन 2018 के नाम से इस नियम को जारी किया है। इस नियम के मुताबिक मोबाइल नंबर प्रोटेबिलिटी (एमएनपी) को ज्यादा सुगम और सरल बनाया गया है। इसके अतिरिक्त प्राधिकरण ने यूनिक पोर्टिंग कोड (UPC) की वैधता भी 15 दिनों से घटाकर 4 दिन कर दी है। हालांकि, यह नियम जम्मू और कश्मीर, असम और नार्थ-ईस्ट सर्किल के यूजर्स के लिए नहीं है। इस नियम को इन सर्किल्स के अलावा देश के अन्य सर्किल के लिए लागू किया गया है।
एक SMS से खारिज होगा पोर्टिंग रिक्वेस्ट
प्राधिकरण के नए नियम के मुताबिक, पोर्टिंग रिक्वेस्ट खारिज करना भी सुगम बनाया गया है। इस प्रक्रिया को केवल एक एसएमएस के द्वारा पूरी की जा सकेगी। वहीं, कॉर्पोरेट पोर्टिंग के लिमिट को 50 से बढ़ाकर 100 कर दिया गया है। कार्पोरेट ग्राहकों का अब एक साथ 100 नंबर पोर्ट आउट किया जा सकेगा। अगर, टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों का नंबर तय समय में पोर्ट नहीं करती है तो इसके लिए जुर्माना तय किया गया है।
टेलिकॉम कंपनियों पर जुर्माना का प्रावधान
प्राधिकरण के मुताबिक, टेलिकॉम कंपनियों को तय समय सीमा तक नंबर नहीं पोर्ट कर पाने की स्थिति में प्रति नंबर 5,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। टेलिकॉम कंपनियों को ग्राहकों द्वारा पोर्टिंग रिक्वेस्ट जेनरेट करने के 24 घंटे के अंदर पोर्टिंग की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। अगर किसी पोर्टिंग रिक्वेस्ट को गलत आधार पर खारिज किया जाएगा तो हर गलत रिजेक्शन पर दोगुना जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके लिए अधिकतम राशि 10,000 रुपये तक निर्धारित की गई है।