मनोज शुक्ल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है, जिससे कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है।
पार्टी ने लोकसभा चुनावों में सपा के साथ गठबंधन किया था, जिससे अप्रत्याशित सफलता मिली थी। इस बार, हालांकि, सपा की कुछ सीटों की मांग ने गठबंधन की संभावनाओं को धूमिल किया है। सपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र में भी कुछ सीटें मांगी थीं, लेकिन वार्ता विफल रहने के बाद कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
संगठनात्मक तैयारियां
कांग्रेस की कोर कमिटी की हालिया बैठक में उपचुनाव के लिए तैयारियों पर चर्चा की गई। पार्टी ने यह तय किया है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में संगठनात्मक गतिविधियों को तेज किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में 10 पदाधिकारियों की टीम बनाई जाएगी। ये पदाधिकारी स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की नीतियों को प्रचारित करने और मतदाताओं को जोड़ने का कार्य करेंगे।
कांग्रेस ने सभी सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षकों की टीमें भी तैनात की हैं। इसके अलावा, मीडिया समन्वयक भी नियुक्त किए गए हैं, जो चुनावी गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
वॉर रूम की स्थापना
पार्टी ने एक वॉर रूम स्थापित किया है, जो चुनावी गतिविधियों की रणनीति को संचालित करेगा। बैठक में यह तय किया गया है कि शुरुआती चरण में दो से चार पदाधिकारियों को भेजा जाएगा, जबकि चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद बाकी पदाधिकारियों को विशेष जिम्मेदारी के साथ तैनात किया जाएगा।
रैलियों की योजना
कांग्रेस उपचुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले सभी 10 सीटों पर कुछ सांगठनिक कार्यक्रमों के साथ कम से कम एक रैली आयोजित करने की योजना बना रही है। यह रैली न केवल पार्टी के संदेश को मजबूत करने का काम करेगी, बल्कि मतदाताओं के बीच कांग्रेस की उपस्थिति भी बढ़ाएगी।
2027 विधानसभा चुनाव की दृष्टि
कांग्रेस पार्टी की यह तैयारी न केवल उपचुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए है, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सपा के साथ संभावित गठबंधन के टूटने के बाद कांग्रेस अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने में जुटी है, जिससे उसे आने वाले चुनावों में लाभ हो सकता है।
कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि पार्टी अब अपनी राजनीतिक दिशा तय करने में गंभीरता से जुटी है। सपा के साथ संभावित गठबंधन की अनिश्चितता ने कांग्रेस को स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरने के लिए प्रेरित किया है। इस बार, पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे और स्थानीय नेतृत्व के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, जिससे कि वह सभी 10 सीटों पर अपनी स्थिति को मजबूत कर सके।