गाजीपुर। गाजीपुर के समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद अफजाल अंसारी के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने हाल ही में मठों और साधु-संतों को लेकर विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि “मठों में साधु-संत भकाभक गांजा पीते हैं” और यह भी कहा कि “अगर कुंभ में एक मालगाड़ी गांजा भेजी जाए तो उसे खपाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।”
गाजीपुर पुलिस ने उनके बयान पर संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज की है। गाजीपुर के एसपी डॉ. ईरज राजा ने बताया कि चौकी प्रभारी राजकुमार शुक्ला ने तहरीर देते हुए धारा 353 (3) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में सांसद को 5 साल तक की जेल हो सकती है।
विवादास्पद बयान के प्रमुख बिंदु:
गांजा की वैधता: अफजाल अंसारी ने कहा, “गांजा को वैध कर देना चाहिए। लाखों लोग इसे पीते हैं। इसे भगवान का प्रसाद कहकर पीते हैं। अगर यह अवैध है, तो फिर पीने की छूट क्यों है?”
साधु-संतों की आदतें: उन्होंने कहा कि साधु, संत और महात्मा लोग गांजे का सेवन बड़े शौक से करते हैं और यह यूपी में भी आम है।
तिरुपति प्रसाद पर टिप्पणी: अंसारी ने तिरुपति बालाजी के लड्डू के विवाद को भी उठाते हुए कहा कि यह सब एक बड़ी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया।
सपा की प्रतिक्रिया
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज यादव ने इस एफआईआर पर कहा कि अफजाल अंसारी ने कोई गलत बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी इस एफआईआर के खिलाफ कोर्ट जाएगी।
साधु-संतों का रोष
अफजाल के बयान के बाद साधु-संतों और धार्मिक समुदायों में आक्रोश देखा जा रहा है। कई नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि अगर अंसारी माफी नहीं मांगते हैं, तो उनकी संस्था एफआईआर दर्ज कराएगी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अफजाल अंसारी तीन बार के सांसद और 5 बार के विधायक रहे हैं। वह माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, और हाल ही में उन्होंने सपा के टिकट पर गाजीपुर से जीत दर्ज की थी।
यह मामला न केवल अफजाल अंसारी की विवादास्पद टिप्पणियों को उजागर करता है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में धार्मिक भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।