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लखनऊ में ट्रांसजेंडर प्राइड वॉक

लखनऊ में ट्रांसजेंडर प्राइड वॉक: अधिकारों की मांग के साथ सड़क पर उतरे समाज के सदस्य

लखनऊ।  रविवार को लखनऊ में लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटीक्यू) समुदाय के लोगों ने प्राइड वॉक का आयोजन किया। इस मौके पर उन्होंने जोरदार नारेबाजी करते हुए नाचते-गाते जुलूस निकाला, जिसमें सभी के उत्साह की कमी नहीं थी, भले ही बारिश ने कार्यक्रम में कुछ बाधा डाली।

प्राइड मार्च का आरंभ लोहिया चौराहे से हुआ और 1090 चौराहे पर समाप्त हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन शिव ट्रांसजेंडर फाउंडेशन और ट्रांसजेंडर गौरव यात्रा समिति द्वारा किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और कौशल विकास के बारे में जानकारी प्रदान करना था।

सरकारी समर्थन का संदेश

किन्नर कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष सोनम किन्नर ने राज्य सरकार की तरफ से कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा, “आज पूरा विश्व ट्रांसजेंडर कम्युनिटी का त्योहार मना रहा है और राजधानी लखनऊ में भी यह मनाया जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग शामिल हुए हैं और आज के दिन अमेरिका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भी बधाइयां आई हैं।”

समाज में अपनी जगह की मांग

मार्च में शामिल ट्रांसजेंडरों ने कहा, “हम भी इस समाज का हिस्सा हैं और हमें गलत नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।” कार्यक्रम की आयोजक प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि यह रैली समाज के बीच ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर पाई जाने वाली तिरस्कार की भावना को कम करने के लिए आयोजित की गई है।

समर्थन की आवश्यकता

कई ट्रांसजेंडर सदस्यों ने अपनी बातें साझा कीं। कुलदीप ने कहा, “हम नॉर्मल हैं और हमें समाज द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।” अली ने कहा, “हम इसी समाज का हिस्सा हैं और हमें प्यार की जरूरत है।”

समाज और सरकार का ध्यान

कार्यक्रम में किन्नर सोनम ने भी भाग लिया और कहा कि आज पूरा विश्व ट्रांसजेंडर समुदाय का त्योहार मना रहा है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार के इस कार्यक्रम में शामिल होना हमारे अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।”

एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय की स्थिति

हालांकि, भारत में एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय की स्थिति अभी भी संवेदनशील है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आईपीसी  की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन फिर भी समाज के एक बड़े हिस्से एलजीबीटीक्यू प्लस को स्वीकार करने की भावना अभी भी कमजोर है।

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