लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने अमिताभ ठाकुर मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
खण्डपीठ ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच में बिना स्पष्टीकरण का मौका दिए जांच अधिकारी बनाए जाने के यूपी सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था।
अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर विशेष अनुमति याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश को ख़ारिज करने की मांग की है। साथ ही याचिका के लंबित रहने तक जांच चलाये जाने की अनुमति भी मांगी है।
अमिताभ ने जांच अधिकारी की नियुक्ति को विधिविरुद्ध बताते हुए उसे रद्द करने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी , जिस पर कैट ने 27 जनवरी 2016 को राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था।
राज्य सरकार ने इस आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच में चुनौती दी थी, जिसे न्यायमूर्ति सत्येन्द्र सिंह चौहान और विजय लक्ष्मी की बेंच ने 29 सितम्बर के आदेश में राज्य सरकार की याचिका को बलहीन पाते हुए कैट के आदेश को सही बताया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अत्यंत संवेदनशील ड्यूटी करते हैं और कई बार उनके निष्पक्ष कार्य के कारण वे सरकार के कोपभाजन होते हैं। इसलिए उन्हें क़ानून में बचाव के अधिक उपाय दिए गए हैं, जिनका इस मामले में पालन नहीं किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार इस फैसले के खिलाफ यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय गई है कि उच्च न्यायालय ने बहुत ही व्यग्र हो कर अखिल भारतीय सेवा नियमावली की व्याख्या की थी, जो सही नहीं है।