उत्तर प्रदेश में रेजीडेंट महिला डॉक्टरों को प्रसूति अवकाश पर मानदेय मिलेगा, साथ ही सेवा बांड की अवधि बढ़ने पर अतिरिक्त स्टाइपेंड भी दिया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नया शासनादेश जारी किया।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए एक नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत महिला रेजीडेंट डॉक्टरों को अब प्रसूति अवकाश के दौरान मानदेय मिलेगा। इसके अलावा, यदि प्रसूति अवकाश के कारण उनकी सेवा अवधि बढ़ती है, तो उन्हें बढ़ी हुई अवधि के लिए अतिरिक्त स्टाइपेंड भी दिया जाएगा।
यह फैसला उच्च न्यायालय के आदेश पर लिया गया है, जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए थे कि वे रेजीडेंट महिला डॉक्टरों के प्रसूति अवकाश की नीति को पुनः परिभाषित करें। अब रेजीडेंट डॉक्टरों को प्रसूति अवकाश के दौरान सेवा बांड को लेकर विकल्प प्रस्तुत करने होंगे, जो इस व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सेवा बांड और स्टाइपेंड:
उत्तर प्रदेश सरकार ने यूजी और पीजी छात्रों के लिए दो साल का अनिवार्य सरकारी सेवा बांड लागू किया है। इसके तहत डॉक्टरों को जूनियर सीनियर रेजीडेंट के रूप में सरकारी अस्पतालों में काम करना होता है। डॉक्टरों को सेवा बांड की अवधि पूरी करने के बाद ही पूरी राशि मिलती है। हालांकि, प्रसूति अवकाश के कारण यदि सेवा बांड की अवधि बढ़ती है, तो बढ़े हुए महीनों के लिए डॉक्टरों को स्टाइपेंड दिया जाएगा, जो पहले की नीति में शामिल नहीं था।
नया शासनादेश:
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने संयुक्त सचिव मनोज सिंह द्वारा जारी एक आदेश के तहत इस नीति को लागू किया है, जो प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों, स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों और संस्थानों में कार्यरत एसआर, जेआर, डिमांस्ट्रेटर, ट्यूटर, नॉन पीजी जूनियर रेजीडेंट, और उनके समकक्ष रेजीडेंट डॉक्टरों पर प्रभावी होगा।
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महिला डॉक्टरों को मिलेगा लाभ:
अब महिला रेजीडेंट डॉक्टरों को प्रसूति अवकाश पर मानदेय के साथ-साथ सेवा बांड की अवधि बढ़ने पर अतिरिक्त स्टाइपेंड मिलेगा, जो उनके लिए एक बड़ी राहत होगी। इस कदम से महिला डॉक्टरों को उनके काम और परिवार के बीच बेहतर संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।