पिछड़े और दलित वोट बैंक पर फोकस, कई दिग्गज नेता दौड़ में शामिल
“उत्तर प्रदेश भाजपा जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। जातीय संतुलन और चुनावी रणनीति पर आधारित इस चयन में पिछड़े और दलित वर्गों को ध्यान में रखा जाएगा। जानें संभावित नाम और भाजपा की रणनीति। “
भाजपा की रणनीति: नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज
मनोज शुक्ल
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने जा रही है। इस प्रक्रिया के तहत पार्टी नेतृत्व ने चुनावी रणनीति और जातीय समीकरणों पर गहन विचार शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि जनवरी 2025 में कभी भी नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित किया जा सकता है। यह नियुक्ति 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने का अहम हिस्सा होगी।
साल 2022 में भूपेंद्र सिंह चौधरी को यूपी भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता के तौर पर लोकप्रिय हैं। इस बार पार्टी नेतृत्व समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ का मुकाबला करने के लिए पिछड़े या दलित वर्ग से अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नाम और उनकी ताकत
अमरपाल मौर्य

अमरपाल मौर्य
- भूमिका: भाजपा के प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सांसद।
- योग्यता: पिछड़े वर्ग के मौर्य समाज में गहरी पकड़।
- मजबूती: मौर्य, सैनी, शाक्य जातियों के 4% वोट को भाजपा की ओर बनाए रखने की क्षमता।
बीएल वर्मा

बीएल वर्मा
- भूमिका: केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता।
- योग्यता: लोध समाज के बड़े नेता और केंद्रीय नेतृत्व के करीबी।
- मजबूती: लोध समाज के 4.9% वोट को साधने में कुशल।
बाबूराम निषाद

बाबूराम निषाद
- भूमिका: राज्यसभा सदस्य और भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी।
- योग्यता: निषाद, मल्लाह, केवट समुदाय में प्रभावशाली।
- मजबूती: निषाद समाज के 4.35% वोट को सपा से भाजपा की ओर खींचने की क्षमता।
हरीश द्विवेदी

हरीश द्विवेदी
- भूमिका: दो बार सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री।
- योग्यता: ब्राह्मण समाज में मजबूत पकड़।
- मजबूती: 12% ब्राह्मण वोट बैंक को पार्टी के पक्ष में बनाए रखने की संभावना।
विनोद सोनकर

विनोद सोनकर
- भूमिका: पूर्व सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री।
- योग्यता: दलित समाज में सोनकर बिरादरी का प्रभावी प्रतिनिधित्व।
- मजबूती: दलित वोट बैंक को सशक्त करने में योगदान।
- भाजपा की प्राथमिकताएं: जातिगत संतुलन और वोट बैंक प्रबंधन
भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में 2027 का विधानसभा चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। पार्टी नेतृत्व विभिन्न जातीय समुदायों, विशेष रूप से पिछड़े और दलित वर्गों, के संतुलन को ध्यान में रखकर नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन करेगा।
- पिछड़ा वर्ग: मौर्य, लोध, और निषाद समाज का समर्थन सुनिश्चित करना।
- दलित वर्ग: सोनकर और अन्य दलित जातियों को मजबूत करना।
- ब्राह्मण: नाराज ब्राह्मण समुदाय को पार्टी से जोड़ना।
संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया
- 7 जनवरी 2024 तक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पूरी होगी।
- प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 20 से 25 जनवरी के बीच प्रदेश परिषद की बैठक आयोजित होगी।
- प्रत्येक जिले से अनुसूचित जाति और अन्य वर्गों के प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
विशेष पहल:
पार्टी की ओर से प्रदेश में संगठनात्मक चुनावों के जरिए नए नेतृत्व को उभारने का प्रयास किया जा रहा है। मंडल स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक हर नेता को अपने क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
भाजपा के संगठनात्मक बदलाव पार्टी की चुनावी रणनीति और जातीय समीकरणों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह प्रक्रिया न केवल राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी इसके प्रभाव देखे जाएंगे।
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