“2060 तक मुस्लिम जनसंख्या में 70% वृद्धि की संभावना। भारत में यह संख्या 33 करोड़ तक पहुंच सकती है, जो कुल जनसंख्या का 19.4% होगी। जानें प्रमुख कारण और संभावित प्रभाव।”
अगले 36 सालों में 70% बढ़ जाएगी मुसलमानों की संख्या: रिपोर्ट
विशेष रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
दुनियाभर में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर अन्य धर्मों के मुकाबले कहीं अधिक है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2060 तक मुस्लिम जनसंख्या में 70% की वृद्धि होगी, जबकि वैश्विक जनसंख्या केवल 32% बढ़ेगी। इस दौरान भारत में मुसलमानों की संख्या 33 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जो कुल जनसंख्या का 19.4% होगा।
मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि के प्रमुख कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि के पीछे उनकी उच्च प्रजनन दर और युवा जनसंख्या सबसे बड़े कारण हैं। मुस्लिम महिलाओं में औसतन 3 बच्चों का जन्म होता है, जबकि अन्य धर्मों में यह औसत प्रति महिला 2 बच्चों का है।
प्रजनन दर में अंतर
- मुस्लिम: प्रति महिला औसतन 3 बच्चे।
- अन्य धर्म: प्रति महिला औसतन 2 बच्चे।
- युवा जनसंख्या का योगदान
- मुस्लिम आबादी अन्य धर्मों के मुकाबले औसतन अधिक युवा है, जिससे उनके प्रजनन क्षमता के वर्ष अधिक होते हैं।
भारत में मुस्लिम जनसंख्या का परिदृश्य
भारत में वर्तमान में मुसलमान देश की कुल आबादी का लगभग 15% हैं। 2060 तक यह संख्या बढ़कर 19.4% तक पहुंच सकती है। हालांकि हिंदू धर्म के अनुयायियों की संख्या अभी भी बहुसंख्यक रहेगी, लेकिन मुसलमानों की संख्या में वृद्धि के कारण सामाजिक और राजनीतिक संतुलन में बदलाव संभावित है।
- वर्तमान जनसंख्या (2024): लगभग 20 करोड़।
- भविष्य जनसंख्या (2060): लगभग 33 करोड़।
वैश्विक जनसंख्या परिदृश्य
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर दुनिया के अन्य धर्मों के मुकाबले अधिक है। 2060 तक, ईसाई धर्म के बाद इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म बना रहेगा।
- वैश्विक मुस्लिम जनसंख्या (2024): 1.9 अरब।
- वैश्विक मुस्लिम जनसंख्या (2060): 3 अरब से अधिक।सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
- मुस्लिम आबादी में वृद्धि के कारण कई सामाजिक और आर्थिक बदलाव हो सकते हैं।
संसाधनों की मांग में वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या के कारण भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा की मांग में भारी वृद्धि होगी।
रोजगार और सामाजिक संरचना
युवा आबादी के कारण रोजगार सृजन की आवश्यकता होगी। अगर रोजगार नहीं बढ़ा तो असंतोष और असमानता बढ़ सकती है।
धार्मिक संतुलन का प्रभाव
भारत और अन्य देशों में बढ़ती मुस्लिम आबादी का राजनीतिक और धार्मिक संतुलन पर भी प्रभाव पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय
जनसंख्या विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर सतर्कता और नीतिगत कदम उठाना जरूरी है।
डॉ. आर. शर्मा, जनसंख्या विशेषज्ञ: “सरकारों को बढ़ती जनसंख्या के साथ रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देना होगा।”
प्रो. अमीना सिद्दीकी, समाजशास्त्री: “यह बदलाव न केवल धार्मिक संतुलन बल्कि सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित कर सकता है।”
2060 तक के अनुमानित आंकड़े (भारत)
मुस्लिम जनसंख्या की बढ़ती दर दुनियाभर में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। भारत में, यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर प्रभाव डालेगा। इन बदलावों को संतुलित करने के लिए संसाधनों का प्रबंधन और समावेशी नीतियों की आवश्यकता होगी।
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