नासा के एक पुराने मिशन से मिले डेटा ने सबको चौंका दिया है। वैज्ञानिकों को संकेत मिले हैं कि शुक्र ग्रह (Venus) की सतह आज भी हिल-डुल रही है। यह गतिविधि वैसी ही है जैसी पृथ्वी पर टेक्टोनिक प्लेटों की वजह से होती है, पर शुक्र पर ये प्रक्रिया थोड़ी अलग है।
शुक्र पर ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिसमें पृथ्वी की तरह बड़ी-बड़ी प्लेटें आपस में टकराती हैं। लेकिन फिर भी, अंदर से उठने वाली गर्म चट्टानों की धाराएं (plumes) ग्रह की सतह को धकेल रही हैं। इसका सबूत वैज्ञानिकों को शुक्र की सतह पर बनीं अजीबो-गरीब गोल आकृतियों (जिन्हें कोरोना कहा जाता है) में मिला।
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नासा का मैगेलन मिशन, जो 1989 में लॉन्च हुआ था और 1990 के दशक में शुक्र के चारों ओर चक्कर लगाकर जानकारी इकट्ठा करता रहा, ने इन ‘कोरोना’ जैसी संरचनाओं की मैपिंग की थी। अब, वैज्ञानिकों ने उन्हीं डेटा को फिर से खंगालकर पाया है कि शुक्र पर अंदर से गर्म पदार्थ ऊपर की ओर धकेलता है और सतह को ऊपर-नीचे करता है।
शोध में पता चला है कि जिन 75 कोरोना का अध्ययन किया गया, उनमें से 52 के नीचे ऐसा गर्म और हल्का मैग्मा मौजूद है जो सतह को उठा रहा है – ये इस बात के संकेत हैं कि शुक्र पर आज भी ‘टेक्टोनिक एक्टिविटी’ चल रही है।
पृथ्वी पर जब टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं, तो भूकंप और ज्वालामुखी फटते हैं। शुक्र पर भले ही ऐसी प्लेट्स न हों, लेकिन जो अंदर से उठती हुई गर्म चट्टानें हैं, वे सतह को ऊपर-नीचे करती हैं और कुछ जगहों पर नीचे की तरफ धकेलती हैं – जैसे कि कोई भारी चीज़ गीली मिट्टी में धंसती हो।

इस रिसर्च से यह भी समझ आता है कि शायद हमारी पृथ्वी पर भी शुरुआती दौर में ऐसी ही प्रक्रियाएं चलती थीं, जब अभी टेक्टोनिक प्लेट्स का जन्म नहीं हुआ था।
नासा 2031 में शुक्र पर एक नया मिशन भेजने वाला है – VERITAS नाम से। यह शुक्र की सतह और उसके अंदर की गतिविधियों की और भी स्पष्ट तस्वीर देगा। इससे हमें शुक्र के साथ-साथ हमारी पृथ्वी के इतिहास को भी बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
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