हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है। कहते हैं कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे।
इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था। इसके बाद से वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा ठीक 180 डिग्री के अंश पर होता है। इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणें काफी सकारात्मक होती हैं और यह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती हैं। चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक है इसलिए इन किरणों का प्रभाव सबसे अधिक पृथ्वी पर ही पड़ता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सिख धर्म में भी बहुत है। माना जाता है कि इस दिन सिखों के पहले गुरु, गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिवस को सिख धर्म में प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसे गुरु नानक जयंती भी कहते हैं। गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में खास पाठ का आयोजन होता है। सुबह से शाम तक कीर्तन चलता है और गुरुद्वारों के साथ ही घरों में भी खूब रोशनी की जाती है। इसके अलावा, लंगर छकने के लिए भी भीड़ उमड़ती है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजन विधि:
- गंगा स्नान या स्नान कर के भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए।
- पूरे दिन या एक समय का व्रत जरूर रखें।
- इस दिन नमक का सेवन बिल्कुल ना करें।
- ब्राह्मणों को दान दें।
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से पुण्य प्राप्ति होती है।