लेख – आशीष बाजपेयी
“उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तैयारी में बसपा की ताकत को नजरअंदाज करना भाजपा और सपा के लिए महंगा पड़ सकता है। पार्टी कोर वोटर्स को वापस लाने की कोशिश में जुटी है। जानें इसके संभावित प्रभाव और चुनावी समीकरण।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगामी उपचुनावों के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक हो गया है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने स्पष्ट किया है कि वह इन उपचुनावों को गंभीरता से ले रही हैं। हाल के वर्षों में पार्टी भले ही अपने कमजोर दौर से गुजर रही हो, लेकिन पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिले समर्थन के बाद बसपा अपने कोर वोटर्स को वापस लाने में जुटी हुई है।
राजनीतिक समीकरण और संभावित बदलाव
बसपा का मुख्य उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनावों में अपने मत प्रतिशत में सुधार करना है। 2024 में उसे उत्तर प्रदेश में केवल 9.39 प्रतिशत वोट मिले थे, जो उसके लिए चिंताजनक स्थिति है। इसके अलावा, 2022 के विधानसभा चुनाव में उसे 12.88 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2012 के बाद से सबसे कम है। इस संदर्भ में, बसपा ने ‘कटेंगे तो बंटेंगे, जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ जैसे नारे को आधार बनाते हुए अपने कोर वोटर्स को पुनः एकजुट करने का प्रयास किया है।
मायावती की रणनीति अब केवल अपनी सीटों को सुरक्षित रखने की नहीं, बल्कि अन्य पार्टियों से वोट बैंक छीनने की भी है। भाजपा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (सपा) और आजाद समाज पार्टी से भी बसपा अपनी ताकत को बढ़ाना चाहती है। पिछले चुनावों में बसपा की छवि को ‘भाजपा की बी-टीम’ के रूप में देखा गया है, जो अब उसकी पहचान को नुकसान पहुंचा रहा है।
उपचुनाव की सीटों पर बसपा की स्थिति
हालांकि सपा का प्रदर्शन पिछले चुनावों में कमजोर रहा, फिर भी उपचुनाव वाली कुछ सीटों पर बसपा की स्थिति काफी अच्छी है। सीसामऊ और करहल को छोड़कर, अन्य सीटों पर बसपा का वोट प्रतिशत 20 से 25 प्रतिशत तक है। अलीगढ़ की खैर सीट पर 2022 में बसपा ने सपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी की तुलना में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। इसके चलते, सपा और भाजपा के लिए बसपा को हलके में लेना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है।
यदि बसपा अपने कोर वोटर्स को वापस लाने में सफल होती है, तो यह भाजपा और सपा के लिए भारी पड़ सकता है। उपचुनाव की रणनीति के तहत बसपा ने बामसेफ के पूर्व कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया है, जिससे पार्टी की स्थिति को मजबूती मिलेगी।
2022 चुनाव में बसपा, सपा और भाजपा के वोट प्रतिशत :
गाजियाबाद
बसपा: 32,691 वोट (13.36%)
सपा: 44,668 वोट (18.25%)
भाजपा: 1,50,205 वोट (61.37%)
मीरापुर
बसपा: 23,797 वोट (10.98%)
सपा: 1,07,421 वोट (49.52%)
भाजपा: 80,041 वोट (36.94%)
कुंदरकी
बसपा: 42,742 वोट (15.73%)
सपा: 1,25,792 वोट (46.28%)
भाजपा: 82,630 वोट (30.40%)
खैर
बसपा: 65,302 वोट (25.98%)
सपा: 41,644 वोट (16.57%)
भाजपा: 1,39,643 वोट (55.55%)
करहल
बसपा: 15,701 वोट (06.37%)
सपा: 1,48,196 वोट (60.12%)
भाजपा: 80,692 वोट (32.74%)
सीसामऊ
बसपा: 02,937 वोट (01.88%)
सपा: 79,163 वोट (59.68%)
भाजपा: 66,897 वोट (42.83%)
मझवां
बसपा: 52,990 वोट (21.49%)
सपा: 69,648 वोट (23.38%)
भाजपा: 1,03,235 वोट (42.07%)
फूलपुर
बसपा: 49,495 वोट (25.61%)
सपा: 81,164 वोट (42.00%)
भाजपा: 55,858 वोट (28.91%)
कटेहरी
बसपा: 58,482 वोट (23.62%)
सपा: 93,524 वोट (37.78%)
भाजपा: 85,828 वोट (34.67%)
इस प्रकार, उपचुनावों के संदर्भ में बसपा की स्थिति को समझने के लिए ये आंकड़े महत्वपूर्ण हैं।
देश दुनिया से जुड़ी और भी रोचक जानकारी के लिए हमारे विश्ववार्ता पर बने रहें…..
मनोज शुक्ल
ग्राफ़िक्स – हिमांशु शुक्ल