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उद्योगों की स्थापना के लिए तैयार रिपोर्ट का करें गहन परीक्षण – आलोक रंजन

alok ranjanलखनऊ । मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने कहा है कि राज्य में उद्यम एवं उद्योग स्थापित करने के लिए रिपोर्ट पर गहन परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराई जायेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य एवं जनपद स्तर पर उद्योग बन्धु तथा निवेश मित्र व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है। जिसमें एक छत के नीचे सभी संबंधित विभागों के अधिकृत प्रतिनिधि सम्मिलित हों, जिससे उद्यमी को अपनी समस्या के निराकरण के लिए विभिन्न कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ें। साथ ही सभी प्रकार की स्वीकृतियां वास्तव में सिंगल विण्डो से प्राप्त की जा सकें।
गौरतलब है कि आई.आई.एम. लखनऊ के प्रो. देबाशीष चैटर्जी व प्रो. जाबिर अली, जयपुरिया इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट के निदेशक डाॅ. अशरफ रिज़वी तथा जे.आई.एम.एल. की प्रो. कविता पाठक, डाॅ. हेमेन्द्र गुप्ता व डाॅ. मनीष यादव ने इस अध्ययन में योगदान दिया है। 165 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में उद्योग एवं स्टेक होल्डर्स के लगभग 300 दृष्टिकोण व फीडबैक सहित कार्यशालाओं एवं साक्षात्कारों का विश्लेषण संकलित किया गया है। उच्चस्तरीय राजनैतिक एवं शासकीय हस्तक्षेप के सम्बन्ध में कहा गया है कि मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र व आस-पास के जनपदों में व्यवसाय को प्रोत्साहित करें तथा नई परियोजनाओं के साथ ही विद्यमान उद्यमों की समस्याओं के समाधान में भी योगदान करें। नामित मंत्री की अध्यक्षता में जनपद स्तर पर उद्योग बन्धु में एक उच्च प्राधिकृत समिति को प्रत्येक माह बैठक करनी चाहिए। इन बैठकों की कार्यवाही मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जानी चाहिए। इन बैठकों में वे सभी उद्यमी व उद्योग तथा संबंधित विभाग प्रतिभाग करेंगे जिनकी समस्याओं का निवारण नहीं हो पा रहा है। स्थानीय विधायकों को भी इस प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाना चाहिए। सिविल सर्विसेज़ में सुधार के सम्बन्ध में कहा गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार अधिकारियों की एक पद पर तैनाती न्यूनतम 2 वर्षों के लिए होनी चाहिए जिससे नीति क्रियान्वयन में एक रूपता तथा निरन्तरता बनी रहे।
इसके अलावा फिरोज़ाबाद के कांच उद्योग पर ईंधन के कारण उत्पन्न समस्या के समाधान सहित अनापत्ति जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण, करों में कमी तथा भूमि आवंटन में आसानी, भूमिका रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया का सरलीकरण, राज्य सरकार द्वारा संस्थागत वित की सुविधा की पुनस्र्थापना, बिजली की दरों में कमी, शासकीय अधिकारियों से मिलने की आसानी, कानपुर में अच्छे होटलों व हवाई अड्डे की स्थापना तथा कानपुर में चमड़ा उद्योग की पर्यावरण से संबंधित समस्या का निदान आदि कुछ अन्य संस्तुतियां की गई हैं। लखनऊ की चिकनकारी को बढ़ावा देने के लिए महानगरों में प्रदर्शनियों का आयोजन, कारीगरों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का सुलभ लाभ, जीआई उत्पादों को वैट मुक्त किया जाना तथा नीति निर्धारण में उद्योगों की सहभागिता पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि सभी प्रक्रियाएं आॅनलाइन कर दी जाएं जिससे मान व हस्तक्षेप कम से कम हो। राज्य में उद्यम व उद्योग स्थापित करने व संचालन हेतु विद्यमान माहौल के स्वतंत्र संरचनात्मक मूल्यांकन एवं निवेश प्रोत्साहन के लिये रणनीतिक विकास के उद्देश्य से राज्य सरकार ने लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन को यह कार्य सौंपा था।

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