नई दिल्ली। देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की आड़ में भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक समेत कई बैंकों ने हाल के दिनों में सेवा शुल्कों में जो बढ़ोतरी की है, उसको लेकर सरकार के कान अब जाकर खड़े हुए हैं।
वैसे सरकार निजी क्षेत्र के बैंकों पर तो कोई अंकुश लगा नहीं सकती लेकिन उसने इस बारे में एसबीआई पर जरूर दबाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। वित्त मंत्रालय ने एसबीआई से कहा है कि उसने न्यूनतम बैलेंस, एटीएम से नकदी निकासी जैसी सेवाओं पर हाल में जो शुल्क लगाया है, उस पर पुनर्विचार करे। माना जा रहा है एसबीआई अगले एक-दो दिनों में सेवा शुल्कों में की गई बढ़ोतरी में कमी कर सकता है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बैंकों के पास नकद निकासी पर शुल्क लगाने का अधिकार है। इसके बावजूद हमने बैंकों से शुल्क की समीक्षा करने को कहा है। वैसे भी डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए बैंकों के स्तर पर कदम उठाये जा रहे हैं और सरकार उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहती है। लेकिन शुल्क बढ़ोतरी युक्तिसंगत होना चाहिए।
एसबीआई की तरफ से पिछले हफ्ते को एक साथ कई तरह से सेवा शुल्कों में भारी वृद्धि का फैसला किया गया है। इसमें न्यूनतम बैलेंस बढ़ाकर इस शर्त के उल्लंघन पर शुल्क लगाने का भी फैसला शामिल है। सामान्य बचत खातों में अब ग्राहकों को 5000 रुपये (बड़े शहरों में) का न्यूनतम मासिक बैलेंस रखना होगा।
आपको बता दें कि एक अप्रैल से एसबीआई ने बचत खाते में न्यूनतम राशि कम से कम 5,000 रुपए रखने होंगे, अगर ग्राहक ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक 100 रुपये जुर्माना लगाएगा। बैंक ने अपने फैसले में मेट्रो शहरों, अर्बन, सेमी अर्बन और रूरल क्षेत्रों में बचत खाते में अलग-अलग न्यूनतम राशि रखने का फैसला लिया था।
कहां रखना होगा कितना न्यूनतम बैलेंस और क्या होगा जुर्माना
– मेट्रो क्षेत्र की ब्रांच के खाता धारकों के लिए मिनिमम बैलेंस 5000 रुपए रखना जरूरी, नहीं रखने पर 50 से 100 रुपए जुर्माना।
– अर्बन ब्रांच में 3,000 रुपए न्यूनतम रखना जरूरी, नहीं रखने पर 20 से 50 रुपये का जुर्माना।
– सेमी-अर्बन क्षेत्रों के बैंकों में 2,000 रुपए मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी, नहीं तो 20 से 50 रुपये का जुर्माना।
– रूरल क्षेत्रों के लिए मिनिमम बैलेंस 1,000 रखना जरूरी नहीं तो 20 से 50 रुपए का जुर्माना लगेगा।