लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय की अनुशासन और सुरक्षा व्यवस्था तार-तार होती जा रही। अभी तक लगातार तीन दिनों से गार्डो को पीटा जा रहा था। हद तो जब हो गयी जब गार्डों की पिटाई के लिए आरोपियों को पकड़ने के लिए हॉस्टल में खंगालने पहुंचे तो वहां लविवि कुलानुशासक को भी देर रात अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।
लविवि से जुड़े सूत्रों के अनुसार देर रात तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे लविवि कुलानुशासक अपनी सरकारी गाड़ी के साथ मस लाव-लश्कर के कैंपस में बने नरेंद्र देव और हबीबुल्लाह छात्रावास में जांच करने के लिए पहुंचे। गौरतलब है कि बीते कई दिनों में इन हॉस्टलों के समीप मुंह पर कपड़ा बांधे लड़कों ने विवि के गार्डों की जमकर पिटाई की थी। इसके पीछे लविवि प्रशासन का तर्क था कि यह लड़के रात में नकल लिखने का प्रयास करने पर रोकने को लेकर उग्र हुए थे और उन्होंने गार्ड को जमकर मारा था। इसी कड़ी की तलाश में लविवि कुलानुशसक अपने सहयोगियों के साथ रविवार देर रात छात्रावास पहुंचे।
इससे पहले कि हॉस्टलों को खंगालना शुरु करते उनकी सरकारी गाड़ी पर जमकर पत्थरबाजी होने लगी। उनके साथ के सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें गाड़ी तक वापस पहुंचाया। गाड़ी जैसे ही वापस होने लगी वैसे ही अंतरूवासी छात्रों ने उनकी गाड़ी पर जोरदार पत्थर बरसाए। प्रॉक्टर की गाड़ी का सामने वाला कांच चटक गया और साइड मिरर भी इस दौरान क्षतिग्रस्त हो गया। हांलाकि इस बारे में सोमवार को पूरे दिन प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य चुप्पी साधे रहे। किसी ने भी कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
पुलिस की गाड़ी पर भी हुआ हमला
सूत्रों के अनुसार प्रॉक्टर के ऊपर हुए हमले की सूचना मिलने पर डायल 100 की एक गाड़ी भी मौके पर पहुंची। अभी पुलिस कुछ समझ पाती कि इससे पहले ही उनकी गाड़ी पर भी पथराव शुरू हो गया। जिसके बाद वह भी बैकफुट पर आ गई। हालांकि लविवि में परीक्षाओं के चलते सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं लेकिन कुलानुशासक और उनके द्वारा बनाई गई टीम लगातार कैंपस में सुरक्षा जैसे मुदद्े पर फेल हुई है। सबसे अहम बात है कि उनकी टीम में कई ऐसे सदस्य हैं जिन्हें छात्र जानते तक नहीं हैं। ऐसे में वह अपनी सुरक्षा से जुड़ी किसी भी बात को उनतक पहुंचा ही पहीं पाते हैं।