वाराणसी। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्वालय अब उच्च शिक्षा के साथ साथ गुणवत्तायुक्त शोध के केन्द्र बनेंगे।
गुरूवार की अपरान्ह बीएचयू के केन्द्रीय कार्यालय स्थित समिति कक्ष में देश के 40 केन्द्रीय विश्वविद्वालयो के कुलपतियो के साथ बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने बताया कि आईआईटी, आईआईएम और उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा छात्रो को प्रवेश मिलेगा। इन विश्वविद्वालयो में रिक्त पदो को भरने के लिए कमेटी गठित कर दी गयी है। बताया कि इस महत्वपूर्ण बैठक में देश के 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियो में 36 की उपस्थिति रही। चार के प्रतिनिधियो ने इसमें भागीदारी की।
इन कुलपतियो ने बैठक में कहा कि ब्रिटिश काल में शिक्षा नीति ऐसी बनायी गयी थी कि उनके काम के कर्मचारी और अफसर ही निकल सके। उस समय भी देश में विश्व स्तर के नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला विश्वविद्वालय मौजूद थे। जो आज की तरह रैंकिग होती तो एक नम्बर पर रहते। उस देश के मनीषी महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय, गोखले, तिलक, बाबा साहब ने सभी नागरिको के लिए गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा का सपना देखा था। कहा कि जिस देश के पास अच्छा विवि होता है वही सही मायने में तरक्की करता है।
इसके बाद केन्द्रीय मंत्री ने बीएचयू में बने ग्रीन बिल्डिग और शताब्दी कृषि भवन का नारियल फोड़कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लोकार्पण किया। इस दौरान केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा.महेन्द्र पाण्डेय,यूजीसी के चेयरमैन प्रो. वेदप्रकाश बीएचयू कुलपति प्रो.जीसी त्रिपाठी भी मौजूद थे।
वाराणसी और विन्ध्यमंडल के 88 ब्लाको में पायलट प्रोजेक्ट
कुलपतियो के बैठक में भाग लेने आये केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. महेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि आज भी इन विवि में पढ़ने के लिए मध्यमवर्गीय परिवारो में आर्कषण है। इसके चलते इन पर प्रवेश को लेकर दबाब भी बढ़ा है। पूर्वांचल के छात्रो को तकनीकी आईआईटी और आईआइएम मेडिकल शिक्षा के योग्य बनाने के लिए गम्भीर प्रयास पीएम की पहल पर हो रहा है। इसके तहत वाराणसी और विन्ध्याचल मंडल के सात जिलो के 88 ब्लाको में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसमें विज्ञान वर्ग के चयनीत शिक्षको को मालवीय कौशल विकास सेन्टर में ट्रेनिग दिया जायेगा।