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कैंसर मरीज को सस्ता इलाज उपलब्ध कराएगी मेट्रोनोमिक थेरेपी

लखनऊ। देश में कैंसर के मरीज़ दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। हर साल 11 लाख नए मरीज़ कैंसर के बढ़ रहे हैं। ऐसे में मरीजों के इलाज की चुनौती डॉक्टर्स के लिए बढ़ जाती है।

कीमोथेरेपी के ज़रिये मरीज़ का इलाज मुमकिन है पर इसके साइडइफ़ेक्ट और हाई रेट के चलते गरीब आदमी के लिए इसका फायदा लेना मुमकिन नहीं हो पाता है। कैंसर के मरीज़ को सस्ते इलाज के लिए डॉक्टर्स ने मेट्रोनोमिक थेरेपी से अब कैंसर का इलाज शुरू कर दिया है। यह बात टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रो. श्रीपद बेनीवाल ने इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान में आयोजित 36वें आइकॉन कांफ्रेंस में कही।

उन्होंने बताया कि लोगों को जितना डर कैंसर से होता है, उससे ज्यादा डर इसके इलाज के दौरान होने वाले कीमोथेरेपी और रेडियेशन थेरेपी के साइड-इफेक्ट्स से होता है। इन ट्रीटमेंट्स में बॉडी कई केमिकल्स से प्रभावित होती है, और उसे नुकसान पहुंचता है। इन नुकसानों में उल्टी, सिरदर्द, हेयर फॉल, स्किन ड्रायनेस के साथ पिगमेंटेशन, नींद न आना, कब्ज जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं।

कैंसर के इलाज के दौरान बहुत बार हेल्दी सेल्स भी इफेक्टेड होने लगते हैं। इससे नेचुरल इम्युनिटी कमजोर होने लगती है। बॉडी का नेचुरल डिफेन्स सिस्टम भी धीमा पड़ने लगता है। कैंसर से पीड़ित मरीज में इन्फेक्शन होने की आशंका लगातार बनी रहती है। ऐसे में कैंसर से जल्दी रिक्वरी के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। हेल्दी डाइट सबसे जरूरी, योग से होगा फायदा, ऑल्टरनेटिव रेमेडिज़ अपनाएं।

क्या है मेट्रोनोमिक थेरेपी
मेट्रोनोमिक थेरेपी में कैंसर पीड़ित मरीज़ को कीमोथेरेपी की तरह ही कम डोज दिया जाता है। इन थेरेपी में बीपी और डायबिटीज की दवाईयों के लो डोज से इलाज किया जा रहा है। साथ ही कई ऐसी एंटी कैंसर ड्रग्स है जिनके प्रयोग से कीमोथेरेपी की जगह इस थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है। इस थेरेपी का प्रयोग उन मरीजों के लिए काफी लाभदायक है जो कीमोथेरेपी कराने में असफ हैं साथ ही उनको इससे काफी साइडइफ़ेक्ट होता है।

जल्द ही लखनऊ में शुरू होगा मेट्रोनोमिक थेरेपी
लोहिया इंस्टिट्यूट के ओन्कोलोजी विभाग के डॉ गौरव गुप्ता ने बताया की जल्द ही मेट्रोनोमिक थेरेपी का प्रयोग मरीजों पर शुरू किया जाएगा। इस थेरेपी में मरीज़ को 100 से 200 रूपए तक चार्ज होगा। इससे कैंसर के मरीजों का जो लाखों खर्च कीमोथेरेपी पर होता है उससे काफी फायदा होगा।

संसाधन नाकाफी
यूपी में कैंसर पीड़ितों को मुकम्मल इलाज नहीं मिल रहा है। संसाधनों की कमी की वजह से कैंसर मरीजों को दर्द झेलना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि 10 लाख की आबादी जनसंख्या पर एक मशीन होनी चाहिए। पर, 220 मशीनों के सहारे कैंसर मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। वहीं कैंसर पीड़ितों का डेटा भी एकत्र किया जा
रहा है। इससे कैंसर पीड़ितों के लिए मुक्कमल योजना नहीं बन पा रही है।

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