जलवायु परिवर्तन से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को समझाने वाले अमेरिका के दो अर्थशास्त्रियों विलियम नोर्डहॉस और पॉल रोमर को इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन दोनों को पर्यावरण और प्रौद्योगिकी मुद्दों से जुड़े आर्थिक सिद्धांत पर काम करने के लिए जाना जाता है।
अर्थशास्त्र के नोबेल का एलान ऐसे समय किया गया जब जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर नई बहस छिड़ गई है। रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंसेज ने सोमवार को पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, “पुरस्कार विजेताओं के काम से उन बुनियादी सवालों के जवाब मिलने में मदद मिली कि किस तरह दीर्घकालीन सतत विकास और मानव कल्याण को बढ़ावा दिया जाए।” इस पुरस्कार के तहत मिलने वाली दस लाख डॉलर (करीब 7.28 करोड़ रुपये) की धनराशि दोनों विजेताओं में साझा होगी।
नोबेल जीतने पर हैरानी जाहिर करते हुए 62 वर्षीय रोमर ने कहा, “मुझे सुबह जब फोन आया तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा कि यह झूठी बात होगी। मुझे पुरस्कार की कोई उम्मीद नहीं थी। मेरे खयाल से कई लोगों को यह लगता है कि पर्यावरण की रक्षा करना इतना महंगा और कठिन होगा कि वे इसे नजरअंदाज कर देना चाहते हैं। लेकिन हम यकीनन पर्यावरण की सुरक्षा करने के साथ सतत विकास कर सकते हैं।”
रोमर ने बनाया अंतर्विकास सिद्धांत
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर रोमर ने यह साबित किया है कि आर्थिक शक्तियां किस तरह कंपनियों को नए विचार और नई खोज करने के लिए प्रभावित करती हैं। उन्होंने विकास के एक नए मॉडल की आधारशिला रखी है जिसे अंतर्विकास सिद्धांत कहा जाता है। रोमर विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं।
विलियम ने बनाया मात्रात्मक सिद्धांत
येल यूनिवर्सिटी के 77 वर्षीय प्रोफेसर विलियम ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मात्रात्मक मॉडल तैयार किया। इस मॉडल के तहत उन्होंने अर्थशास्त्र और पर्यावरण के अंतर्संबंधों को आंकड़ों के माध्यम से स्थापित किया।
यह भी जानें
-1969 से अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है
-81 अर्थशास्त्री अब तक इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं
-एलिनॉर ओस्ट्रोम 2009 में यह पुरस्कार जीतने वाली इकलौती महिला हैं