वनवास, अपहरण और परित्याग जैसे कष्टकर जीवन गुजारने वाली पुरुषोत्तम श्रीराम की अर्धागिनी माता सीता को अयोध्या में उचित सम्मान दिलाने के लिए हजारों वषों बाद आवाज बुलंद हो रही है। इसके लिए राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ, जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के उत्तराधिकारी के रूप में जन्मे डॉ॰ कर्ण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम की मूर्ति के साथ माता सीता की मूर्ति भी लगवाई जाए। उल्लेखनीय है कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में पुरुषोत्तम श्रीराम की 151 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने की तैयारी हो रही है। इसी तरह मिथिला में जन्मी सीताजी की मूर्ति राम के साथ लगवाए जाने की जऱूरत है। 
माता सीता को स्थान दे अयोध्या
पत्र में कर्म सिंह ने कहा है कि मिथिला की भूमि सिमरिया में जिस समय मोरारी बापू की रामकथा और साहित्य सम्मेलन चल रहा था। उस समय कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर उनके मन में विचार आया। उन्होंने पत्र में मिथिला में प्रकटी सीता माता के जीवन की विविध कष्टमय परिस्थितियों को उल्लिखित करते हुए लिखा कि श्रीराम की भव्य मूर्ति के साथ सीता माता की भी प्रतिमा लगाई जाए। इससे सीता को कम से कम हजारों वर्षों बाद अयोध्या में उचित स्थान तो मिल सकेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस ऊंचाई की भगवान राम की मूर्ति प्रस्तावित है उसे आधा करके दोनों की मूर्तियां लगाई जा सकती है।
योगी का जनकपुर दौरा
ध्यान रहे कि इन दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ का ध्यान भगवान राम पर भी है। वह भगवान राम से जुड़े तमात मौके पर अयोध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। यह पत्र उस समय आया है जब योगी आदित्यनाथ राम बाराती बनकर बुधवार नेपाल के जनकपुरधाम पहुंचे थे। यहां सीता-राम विवाह के स्वयंवर कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर अयोध्या और जनकपुर के संबंध अटूट बताकर ए योगी ने कहा कि सांझी परंपरा वाले नेपाल से भारत का मधुर संबंध कायम रहेगा। जनकपुर के बारहबीघा मैदान में विवाह पंचमी पर बुधवार को सीता-राम विवाह के स्वयंवर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माता सीता के बिना राम अधूरे हैं। मां जानकी की पावन धरती पर पहुंचकर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह उनका सौभाग्य है। योगी ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूत बनकर आए हैं। भारत सरकार नेपाल को सड़क, रेल, संचार, चिकित्सा, शिक्षा में मदद कर रहा है। जनकपुर से रेल सेवा प्रारंभ होने से अयोध्या से और संबंध मजबूत होंगे।
कौन हैं डा. कर्ण सिंह
कर्ण सिंह राजपरिवार के होने के कारण शुरू (बालिग होने की अवस्था)से ही राजनीतिक जीवन में है।१९४९ में प्रधानमन्त्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें राजप्रतिनिधि (रीजेंट) नियुक्त कर दिया था। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वह राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: राज्यपाल के पदों पर रहे।
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