नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के मुताबिक, निचली अदालतों में कुल 22 लाख 90 हजार 364 मामले 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से लंबित हैं। इनमें से 5.97 लाख मामले दीवानी प्रकृति के और तकरीबन 16.92 लाख मामले आपराधिक प्रकृति के मामले हैं। दीवानी मामलों में आम तौर पर व्यक्तियों या फिर संगठनों के बीच निजी विवाद होते हैं। फौजदारी मामलों में ऐसे मामले शामिल होते हैं जिन्हें समाज के लिये हानिकारक माना गया है।
निचली अदालतों में लंबित मामलों की राज्यवार संख्याः
बता दें कि एनजेडीजी की शुरुआत सितंबर 2015 में की गई थी। इसकी शुरुआत न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और न्याय वितरण प्रणाली में शामिल पक्षों तक सूचना की पहुंच के लिए किया गया। एनजेडीडी के जरिए एक क्लिक पर देशभर की जिला अदालतों में लंबित केसों का विस्तृत डाटा प्राप्त किया जा सकता है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने जिला अदालतों में 10 साल से लंबित फास्ट ट्रैक केसों की संख्या को देखते हुए 24 हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से केसों की जांच करने का आग्रह किया था। हालांकि, जजों की संख्या बढ़ाकर और अतिरिक्त बेंच बनाकर लंबित केसों की संख्या कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
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