नई दिल्ली: 2014 के आम चुनावों में बीजेपी और बाद में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने घोषणा करते हुए कहा है कि अब वह ‘अभियान और चुनावी रणनीतिकार’ की भूमिका में नहीं रहेंगे. हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए रविवार को उन्होंने यह घोषणा की.
2019 के आम चुनावों के लिहाज से हाल में उनके एक बार फिर से बीजेपी का चुनावी रणनीतिकार बनने की चर्चाएं चल रही थीं. इन कयासों को उस वक्त बल मिला जब उनसे जुड़ी संस्था इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पीएसी) ने पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वे कर दावा किया कि सर्वाधिक 49 प्रतिशत लोगों ने देश के नेता के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति आस्था जताई. इस बारे में भी स्पष्ट करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह 2019 में किसी भी दल की तरफ से चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में नहीं होंगे.
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह कहकर चुनावी मैदान में उतरने के संकेत दिए कि उन्होंने राजनेताओं के साथ बहुत काम किया. अब वह जनता के साथ जुड़कर काम करेंगे. इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि वह गुजरात या बिहार में जमीनी स्तर पर जनता के साथ जुड़कर काम करेंगे. इस तरह की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे में उनके बीजेपी (गुजरात) या जेडीयू (बिहार) से जुड़ने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. हालांकि उन्होंने स्पष्ट रूप से इस संबंध में कुछ नहीं कहा.
बिहार से लड़ सकते हैं चुनाव
वैसे इस बारे में राजनीतिक अनुमान लगाए जा रहे हैं कि वह बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से जुड़कर 2019 में चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले वह नीतीश कुमार के साथ जुड़े थे और लालू प्रसाद यादव के साथ जदयू के महागठबंधन बनाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. चुनावी जीत के बाद नीतीश कुमार ने उनको अपना सलाहकार बनाते हुए कैबिनेट रैंक का दर्जा भी दिया. उसके बाद 2017 में जब नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़कर बीजेपी का दोबारा दामन थामा, उसके बाद भी प्रशांत किशोर उनके साथ जुड़े रहे. नीतीश कुमार के साथ अक्सर उनकी मीटिंग होती रही. इसलिए इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 के आम चुनाव में वह बिहार से जदयू की तरफ से लोकसभा प्रत्याशी हो सकते हैं.
प्रशांत किशोर (42)
प्रशांत किशोर ने 2012 में चुनावी रणनीतिकार के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम शुरू किया था. 2014 के आम चुनावों के दौरान वह नरेंद्र मोदी की चुनाव अभियान टीम का हिस्सा थे. बीजेपी की ऐतिहासिक कामयाबी के बाद वह पहली बार सुर्खियों में आए. उसके बाद 2015 में वह नीतीश कुमार के साथ जुड़े. 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के गठबंधन में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. उस वक्त वह कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार थे लेकिन चुनावों में इस गठबंधन को कामयाबी नहीं मिली. हालांकि पंजाब चुनावों में वह कांग्रेस के रणनीतिकार थे और चुनाव जीतने के बाद पंजाब के सीएम कैप्टर अमरिंदर सिंह ने उनके काम की सराहना करते हुए आभार प्रकट किया था. प्रशांत किशोर इस वक्त आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के रणनीतिकार माने जाते हैं.
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