निर्मला सीतारमण ने विजय माल्या से मुलाकात के मुद्दे पर, वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस्तीफे की कांग्रेसी मांग को एक रणनीति कहा है. जिससे संप्रग सरकार के समय हुए ‘सांठगांठ और पक्षपात’ से लोगों का ध्यान हटाया जा सके. रक्षा मंत्री ने पीटीआई को बताया कि संसद के गलियारे में विजय माल्या की जेटली से छोटी सी मुलाकात को मुद्दा बनाया जा रहा है. लेकिन तख्य इस बात की ओर इशारा कर रहें है कि इस बातचीत के कोई मायने नहीं थे.
सीतारमण ने कहा कि जेटली पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कैसे माल्या ने संसद सदस्य होने के नाते अपने विशेषाधिकारों का दुरूपयोग, वित्त मंत्री से बातचीत करने के लिए किया था. वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पी एल पुनिया ने दावा किया है कि उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में जेटली को माल्या के साथ बैठे देखा था और इसे साबित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज भी होंगे. इस संदर्भ में पूछे गये प्रश्न पर सीतारमण ने कहा कि क्या फुटेज में ऑडियो रिकार्डिंग भी होगी.
उन्होंने जेटली के खिलाफ कांग्रेस के इल्जामों पर कहा, ‘‘यह पहले ही पूरी तरह एक मंशा के तहत लगाया गया गलत आरोप लगता है’’. कांग्रेस पर पलटवार करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार में माल्या की मदद के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक को पत्र लिखे गये थे. उन्होंने कहा, ‘‘एक कंपनी का नाम लेते हुए पक्षपात कैसे किया गया.
उन्होंने कहा कि ऐसे बोगस खातों के नाम पर कई लोन दिये गये जिनकी कर्ज लेने की कोई क्षमता नहीं थी. भाजपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार ने कानून बनाया है जिससे बैंक का कर्ज नहीं चुकाने वालों की संपत्ति को जब्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने कुछ कानून तो पारित किये लेकिन नियम कभी नहीं लागू किये.
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