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भारत का बड़ा प्रक्षेपण अभियान: स्कैटसैट-1 समेत आठ उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 रवाना   

102_10_07_35_isro-story_647_092616094314हैदराबाद। भारत ने पीएसएलवी सी-35 का सोमवार सुबह करीब 9 बजे इसरो के श्रीहरिकोटा केंद्र से प्रक्षेपण किया, जो 8 सैटेलाइट को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हुआ है। इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ। 8 सेटेलाइट में मौसम उपग्रह स्कैटसेट-1 भी है। जिसका वजन 371 किलो है। वहीं कुल 8 सेटेलाइट का वजन 675 किलो है। इसरो का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रक्षेपण अभियान है।

भारत के साथ यह भी शामिल – 

इन 8 सेटेलाइटस में से भारत के तीन, अमेरिका का एक, कनाडा का एक और अल्जीरिया के तीन उपग्रह हैं। इसरो का 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी रॉकेट दो भारतीय विश्वविद्यालयों के उपग्रह भी साथ लेकर गया है।  इसके अलावा तीन उपग्रह अल्जीरिया के हैं और एक-एक उपग्रह अमेरिका और कनाडा का है।  पीएसएलवी सी-35 ने चेन्नई से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर उड़ान भरी। यह पहली बार है, जब पीएसएलवी दो अलग-अलग कक्षाओं में पेलोड प्रक्षेपित करेगा। इस काम के लिए चार चरणों वाले इंजन को दो बार दोबारा शुरू किया जाएगा। स्कैटसैट-1 के साथ जिन दो अकादमिक उपग्रहों को ले गया है, उनमें आईआईटी मुंबई का प्रथम और बेंगलुरु बीईएस विश्वविद्यालय एवं उसके संघ का पीआई सैट शामिल हैं। पीएसएलवी अपने साथ जिन विदेशी उपग्रहों को ले गया है, उनमें अल्जीरिया के- अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन, अमेरिका का पाथफाइंडर-1 और कनाडा का एनएलएस-19 शामिल हैं।

क्या होगा खास –

– यह स्कैटसैट-1 और 5 अन्य देशों के सेटेलाइट सहित कुल 8 अलग-अलग सेटेलाइट को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करेगा।

–  स्कैटसैट-1 एक प्रारंभिक उपग्रह है और इसे मौसम की भविष्यवाणी करने और चक्रवातों का पता लगाने के लिए सहायता मिलेगी  है।

– इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करने में मदद करेगा । जबकि पीआई सैट अभियान रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए नैनोसेटेलाइट के डिजाइन एवं विकास के लिए है।

 

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