नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत जैव-कृषि विविधता का भंडार है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें गंभीरता से जैव-कृषि संरक्षण पर सोचने की जरूरत है।दुनिया को मिलकर विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाना होगा ।
पीएम ने कहा कि हर एक देश दूसरे देश से कुछ न कुछ सीखता रहता है, और ये सिलसिला निर्बाध गति से जारी रहना चाहिए। हमें उन तरीकों को खोजने की जरूरत है जिससे लोगों की आवश्यकता पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना हो सके।
कृषि विशेषज्ञ एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण महत्वपूर्ण हो गया है। हमारे देश में स्थिति संतोषजनक नहीं है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हर नागरिक का दायित्व है कि जैव विविधता को संरक्षित किया जाये।’ भारतीय कृषि शोध परिषद के उप महानिदेशक जे एस संधु ने कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान साझेदारी को साझा करने के साथ-साथ ‘जर्म.प्लाज्म’ के आदान-प्रदान का मंच प्रदान करेगा। ‘जर्म.प्लाज्म’ कीटाणु कोशिकाओं का समुच्चय है।
इस सम्मेलन में 60 देशों के 900 प्रतिनिधि जीन संसाधनों के संरक्षण पर विचार विमर्श करेंगे। 9 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन को इंडियन सोसायटी ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज एंड बायोडायवर्सिटी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह सीजीआईएआर का शोध केंद्र है जिसका मुख्यालय इटली के रोम में है।
आईसीएआर ने कहा कि पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन के लिए भारत उपयुक्त स्थल है क्योंकि दुनिया में यह सर्वाधिक विविधता वाले देशों में से एक है। दुनिया के भू रकबे का यहां मात्र 2.4 प्रतिशत भाग है। इसके बावजूद यहां सभी ज्ञात प्रजातियों का सात से आठ प्रतिशत हिस्सा मौजूद है जिसमें पौधों की 45,000 प्रजातियां और जीवों की 91,000 प्रजातियां मौजूद हैं।’