ट्रेनों का नाम लेते ही उसकी जो छवि हमारे दिलो-दिमाग में बनती है, उसमें एक आवाज वर्षों से हमारे जेहन में है। वो आवाज है ‘चाय, चाय, चायवाला…’। अब हाथों में गर्म चाय की केन लिए हुए वेंडर की ये आवाज ट्रेनों में सुनाई नहीं देगी। केवल चाय ही नहीं बल्कि समोसा, चिप्स, गर्मागर्म खाना जैसी आवाजें भी अब पूरे सफर के दौरान आपको सुनाई नहीं देंगी।
दरअसल, यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। रेलवे ने निर्णय लिया गया है कि अब सिर्फ भारतीय रेलवे खानपान व पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) के कर्मचारी ही ट्रेनों में यात्रियों को खाने-पीने का सामान पहुंचाएंगे। यहां तक कि जिन कंपनियों से रेलवे का करार है, उनके वेंडर भी ऑर्डर की स्थिति में स्टेशन पर ही आइआरसीटीसी के कर्मचारी को सामान सौंप देंगे।
सफल होने पर अन्य स्टोशनों में लागू होगी योजना
ट्रेन में बैठे यात्री तक उस सामान को पहुंचाने की जिम्मेदारी आइआरसीटीसी कर्मचारी की ही होगी। फिलहाल, यह योजना नई दिल्ली, कानपुर, नागपुर, भोपाल, इटारसी और झांसी रेलवे स्टेशनों पर शुरू की जा रही है। यदि योजना सफल रही तो अन्य रेलवे स्टेशनों पर भी लागू की जाएगी।
सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर मामला
ट्रेन में यात्रियों को खाने-पीने का अच्छा सामान उपलब्ध हो, इसके लिए आइआरसीटीसी ने कई निजी कंपनियों के साथ समझौता किया है। इसकी आड़ में कई ऐसी कंपनियां भी ट्रेनों में खाने-पीने का सामान पहुंचाने लगी हैं, जिनके साथ रेलवे ने कोई करार नहीं किया है। अवैध वेंडरों का ट्रेन में प्रवेश यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर मामला है। ऐसे में आइआरसीटीसी ने अपना डिलीवरी ब्वॉय तैनात करने का फैसला किया है।
ट्रेन में जाने की इजाजत नहीं
रेल यात्री जैसे ही आइआरसीटीसी की वेबसाइट या एप से खाना बुक करेंगे, इसकी जानकारी संबंधित कंपनी को मिल जाएगी। कंपनी का कर्मचारी ऑर्डर के अनुसार भोजन लेकर स्टेशन परिसर में पहुंचेगा और आइआरसीटीसी के कर्मचारियों को सौंप देगा, जो उसे यात्री तक पहुंचाएंगे। निजी कंपनी के कर्मचारी को ट्रेन में जाने की इजाजत नहीं होगी।