ऑस्ट्रेलिया के सबसे रूढ़ीवादी प्रांत माने जाने वाले क्वींसलैंड के जनप्रतिनिधियों ने सदियों पुराने ‘नैतिकता कानून’ को बदलकर महिलाओं को कानूनी तौर पर गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. इस कानून को बदलने के लिए करीब पांच दशक से आंदोलन चल रहा था. प्रांत की विधायिका ने बुधवार को 41 के मुकाबले 50 वोटों से ‘नैतिकता कानून’ को खत्म करने के प्रावधान के लिए वोट किया. अब नए कानून के तहत एक महिला 22 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात बिना किसी सवाल के करा सकेगी. इसके बाद गर्भपात कराने के लिए उसे दो डॉक्टरों से अनुमति लेनी होगी.
नया कानून गर्भपात की मेडिकल सुविधा मुहैया कराने वाले क्लीनिकों के आसपास 150 मीटर तक के क्षेत्र को सुरक्षित जोन के तहत रखता है जहां प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध है. सिर्फ इतना ही नहीं यदि कोई डॉक्टर स्वयं महिला का गर्भपात नहीं करना चाहता है तो उसे महिला को किसी अन्य डॉक्टर के पास रेफर करना होगा.
महिलाओं को चुनने की आजादी देने के पक्ष में 1970 के दशक से आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता ब्रिटिश शासन के दौरान 1899 में बने गर्भपात कानून को बदलने की मांग कर रहे थे. 1899 का यह कानून गर्भपात को ‘नैतिकता के खिलाफ अपराध’ करार देता था. हालांकि, गर्भपात कराने के लिए प्रांत में अब विरले ही लोगों को सजा मिलती थी, लेकिन कार्यकर्ता इस आपराधिक कानून को हमेशा के लिए खत्म करने की मांग कर रहे थे.

क्वींसलैंड में महिलाओं के पक्ष में यह कानून ऐसे वक्त में बना है जब प्रांतीय सरकार के पक्ष और विपक्ष दोनों ही में महिलाएं शीर्ष नेतृत्व में हैं. लेबर पार्टी की नेता और प्रांत की प्रीमियर एनास्तासिया पलासुक और डिप्टी प्रीमियर जैकी ट्रैड लंबे समय से इस अभियान से जुड़े हुए थे.
वहीं क्वींसलैंड की मुख्य रूढ़ीवादी विपक्षी पार्टी लिबरल नेशनल पार्टी (एलएनपी) की प्रमुख भी एक महिला, डेब फ्रैंक्लिंग्टन हैं. हालांकि, एलएनपी हमेशा से गर्भपात के खिलाफ रही है लेकिन फ्रैंक्लिंग्टन ने अपनी पार्टी के सदस्यों को इस कानून के संबंध में अपनी इच्छानुसार वोट करने की छूट दी थी. यही वजह है कि कानून पारित हुआ है. क्वींसलैंड से नैतिकता कानून खत्म किए जाने के बाद अब न्यू साउथ वेल्स ऑस्ट्रेलिया का एकमात्र प्रांत है जहां गर्भपात कराना अब भी अपराध है. सिडनी इसी प्रांत का हिस्सा है.
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