खेल डेस्क। आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर ने अपने पद से हटने के फैसले को फिलहाल तब तक के लिए टाल दिया है जब तक 2017 सालाना कांफ्रेंस के पूरा होने के बाद नया उम्मीदवार नहीं चुन लिया जाता।
आईसीसी बोर्ड प्रस्ताव के बाद यह फैसला आया जब उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध किया गया, जिसका इस सप्ताह के शुरू में बहुमत से समर्थन किया गया।
मनोहर के लिए दिखे शानदार समर्थन में बोर्ड ने उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए कहा या फिर इसे कम से कम तब तक टालने के लिए कहा जब तक शासन और वित्तीय ढांचे के दोबारा गठन से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए मनोहर ने कहा, ‘मैं निदेशकों द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं और उन्होंने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसका सम्मान करता हूं।
हालांकि इसके संदर्भ में निजी कारणों से मेरे इस पद से हटने का फैसला नहीं बदला है, मैं तब तक अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिये तैयार हूं जब तक प्रस्ताव के अंतर्गत जिम्मेदारियां पूरी नहीं हो जाती।’
शशांक मनोहर ने हैरानी भरा कदम उठाते हुए 15 मार्च को निजी कारणों का हवाला देकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। मनोहर ने मई 2016 में जिम्मेदारी संभाली थी। मनोहर ने आईसीसी सीईओ डेव रिचर्डसन को ईमेल के जरिए इस्तीफा भेजा था, जिसमें अचानक उनके यह कदम उठाने के कारण को स्पष्ट नहीं किया गया था।
मनोहर ने इस्तीफा देते हुए पत्र में लिखा, ‘मुझे पिछले साल निर्विरोध आईसीसी का पहला स्वतंत्र चेयरमैन चुना गया था। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की और सभी निदेशकों के सहयोग से बोर्ड के संचालन और सदस्य बोर्ड से जुड़े मामलों का फैसला करते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष रहने का प्रयास किया।’
मनोहर ने कहा था, ‘हालांकि निजी कारण से मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं आईसीसी चेयरमैन के गरिमामयी पद पर बना रह सकूं और इसलिए तुरंत प्रभाव से चेयरमैन के रूप में इस्तीफा दे रहा हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस मौके पर सभी निदेशकों, प्रबंधन और आईसीसी के स्टाफ का मेरा समर्थन करने के लिए तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं। मैं आईसीसी को शुभकामना देता हूं और उम्मीद करता हूं कि यह नई उंचाइयां हासिल करे।’
मनोहर ने पिछले साल बीसीसीआई अध्यक्ष पद छोड़ दिया था और इसका कारण यह बताया था कि वह लोढ़ा समिति की सिफारिशों को जस का तस लागू कराने में अक्षम हैं।
उस समय बीसीसीआई में उनके आलोचकों ने कहा था कि आईसीसी में सुरक्षित स्थान के लिए वह डूबते जहाज तो छोड़कर चले गए हैं। वह आईसीसी के पहले स्वतंत्र चेयरमैन बने, लेकिन इस दौरान राजस्व साझा करने के फ़ॉर्म्युले को लेकर बीसीसीआई के साथ कई बार उनका टकराव हुआ।