उज्जैन। संजा पर्व के नवें दिन अष्टमी पर अष्टफूल बनाया जाएगा। यह आठ दिशाओं को इंगित करता है। प्राचीन समय में यह मान्यता थी कि दिशाएं 8 होती हैं। चार मुख्य और चार इन मुख्य दिशाओं के बीच की। उस समय में भी दिशाओं का ज्ञान था। यह समझा जाता था कि आठों दिशाओं के प्रहरी भगवान के देवदूत हैं और वे ही लोगों की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करते हैं। इसीलिए भगवान की प्रार्थना के बाद आठों दिशाओं को नमन किया जाता था।संजा जब अपने ससुराल गई तो उसे यह भान नहीं था कि उसका पीहर किस दिशा में है। वह सभी ओर दृष्टि डालती और अपने ससुराल में हो रहे अत्याचारों को लेकर दुख व्यक्त करती।
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