आम्रपाली मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समूह की ओर से पेश वकील गौरव भाटिया से पूछा कि कौन सी संपत्तियों को बेचने से फिलहाल 1000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, ताकि रुके हुए प्रोजेक्ट पर राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) काम शुरू कर सके।
इस पर भाटिया ने कोर्ट से कुछ समय देने की मांग की, जिस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप सभी लोग अपनी उंगलियां जला चुके हैं। किसी को भी आम्रपाली पर भरोसा नहीं है।
सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों के वकील ने पीठ को बताया कि इनकी 16 संपत्तियों की लिस्ट है, जिन्हें बेचकर 1350 करोड़ जुटाए जा सकते हैं। साथ ही इनकी व्यावसायिक संपत्तियां भी हैं, जिन्हें बेचा जा सकता है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में समिति बनाकर संपत्तियों की नीलामी की जा सकती है।
कोर्ट ने एनबीसीसी को सौंपी थी जिम्मेदारी : गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एनबीसीसी को आम्रपाली के सभी अटके हुए अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से 30 दिन में विस्तृत योजना मांगी थी। कोर्ट ने एनबीसीसी को कहा था कि वह 30 दिन में बताए कि वह आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को कैसे पूरा करेगा।
‘700 करोड़ की इक्विटी खरीदने को पैसे कहां से आए’
सुनवाई के दौरान आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा ने कहा कि 847 करोड़ की संपत्ति में से 700 करोड़ रुपये समूह की कंपनी में उनकी इक्विटी है। इस पर पीठ ने सवाल किया कि आपके पास 700 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदने के लिए पैसे कहां से आए।
पीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि क्या यह रकम राजनीति में चली गई। पीठ ने शर्मा से कहा कि आप अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि आप पृथ्वी के सभी लोगों को धोखा दे सकते हैं।
एक बिजनेसमैन, जिसे अपनी प्रतिष्ठा की चिंता होती है, वह इस तरह का काम नहीं करता लेकिन आम्रपाली गलत करने का आदी हो गया है। पीठ ने अनिल शर्मा व कंपनी के अन्य निदेशों की अचल व चल संपत्तियों का ब्योरा देने का निर्देश देते हुए सुनवाई 12 सितंबर तक के लिए टाल दी। साथ ही इन सभी के परिवार के सदस्यों की संपत्तियों का भी ब्योरा देने के लिए कहा गया है।