लखनऊ। देश की सीमा-सुरक्षा में लगे वीरों की वजह से ही आज हम चिन्तामुक्त होकर सो रहे है । लेकिन उनकी सुध लेने वाला अभी तक कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ जिससे उन्हे हमेशा याद रखा जाए। शहीदों की याद में हर साल कार्यक्रम तो रखे जाते हैं। लेकिन उनकी वीरता की गाथा से युवा पीढ़ी व आमजान अंजान रहते हैं। उनके गौरवगथाओं को युवओं तक पहुंचाने के प्रयास में लगे हैं। सेना से रिटायर्ड जनरल गगनदीप सिंह बख्शी इसको एक अनूठा प्रयास देने में लगे हैं।
डिजिटल काॅमिक्स के रुबरु होगें नवयुवक-
1965 के युद्ध को यादगार बनाने को होने वाले प्रयास में वीर अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र विजेता कर्नल तारापुर की कहानी शामिल है। यह भूली बातों को याद दिलाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
जनरल बक्शी का मानना है कि भागती-दौड़ती दुनिया में कॉमिक्स में रुचि रखने वाले बच्चों को जानकारियां इंटरनेट से भी दी जानी चाहिए। ऐसे में कॉमिक्स को ऑनलाइन करने पर विचार हो रहा है। इससे बच्चे, युवा महिला-पुरुष और बुजुर्ग शहीदों की जीवनी और उनकी संघर्ष गाथा आसानी से पढ़ सकेंगे।
देश की युवा पीढ़ी को सैनिकों से जोड़ने के लिए कॉमिक्स का फॉर्मेट सुपर कामंडो ध्रुव, डोगा और चाचा चैधरी के तर्ज पर आधारित है। इंटरनेट युग और प्राचीन युद्ध कलाओं का समिश्रण मोड काॅमिक्स को रुचिकर बनाएगा।
कामिक्स के नौ संस्करण निकल चुके हैं। इसकी शुरुआत आदित्य बख्शी ने की थी। पहला संस्करण कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित थी। दूसरा परमवीर चक्र विजेता व 1971 के युद्ध के दौरान दुश्मनों के दो जेट विमान नष्ट करने में सफल निर्मलजीत शेखो, तीसरा परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल पर है। ऐसे ही अशोक चक्र विजेता संदीप उन्नीकृष्णन, परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, महावीर चक्र विजेता वीवी यादव, अशोक चक्र विजेता एनजेसी नैय्यर, परमवीर चक्र विजेता कर्नल तारापोर पर भी काॅमिक्स निकल चुके हैं।
1965 के युद्ध पर डाक्यूमेंट्री प्रदर्शन को तैयार है। अब्दुल हमीद की वीरता और साहस का प्रदर्शन भी दिखेगा। 1971 के युद्ध का रोचक वर्णन लोगों में वीरता का भाव जायेगा। प्रदर्शन 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस के मौके पर होगा।
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