चित्रकूट, बांदा, कबरई, हमीरपुर, कानपुर देहात, झांसी, उरई, छतरपुर समेत दो दर्जन से अधिक जिलों के लोग कानपुर होते हुए लखनऊ जाते हैं। इस वजह से लखनऊ-कानपुर हाईवे पर यातायात का भारी दबाव है। लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। इससे निजात के लिए कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे 45 सौ करोड़ रुपये से बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की लखनऊ इकाई ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर मुख्यालय को भेज दिया है, अब मंजूरी मिलते ही शिलान्यास की प्रक्रिया शुरू होगी।
भूतल एवं परिवहन मंत्री ने दी थी मंजूरी
लखनऊ-कानपुर हाईवे पर यातायात का भारी दबाव की समस्या के समाधान के लिए ही भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस हाईवे के समानांतर छह लेन का एक्सप्रेस-वे बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। योजना के तहत यह एक्सप्रेस-वे उन्नाव में चंद्रशेखर मोड़ से बनी तक भूतल होगा और फिर वहां से एलीवेटेड होकर अमौसी औद्योगिक क्षेत्र स्थित स्कूटर इंडिया की इकाई के समीप उतरेगा। वैसे तो इसे गंगा बैराज तक बनाकर बाबा घाट पर गंगा पर प्रस्तावित पुल से जोडऩे की योजना है। फिलहाल अचलगंज से लखनऊ तक का डीपीआर तैयार कर प्राधिकरण मुख्यालय भेज दिया गया है।
प्रधानमंत्री कर सकते हैं प्रोजेक्ट का शिलान्यास
कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के प्रोजेक्ट को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है क्योंकि नवंबर अंत या दिसंबर के पहले पखवारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास कर सकते हैं। इस प्रोजेक्ट के धरातल पर आने के बाद गंगा बैराज के रास्ते 40 से 45 मिनट में कानपुर से लखनऊ पहुंचा जा सकेगा। एनएचएआइ के परियोजना निदेशक पी शिवशंकर ने बताया कि प्रोजेक्ट को जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी। फिलहाल डीपीआर भेज दिया है। इसके बन जाने के बाद यातायात जाम की समस्या समाप्त होगी।
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