नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार के विधायकों की सैलरी से जुड़े एक विधेयक को वापस लौटा दिया है। इस बिल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के विधायकों की सैलरी में 400 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की थी। गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार से और जानकारी मांगी है।
केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल के माध्यम से इस बिल को यह कहते हुए वापस भेज दिया है कि दिल्ली सरकार ‘वैधानिक प्रक्रिया’ के तहत इस बिल को दोबारा सही फॉर्मेट में भेजे। केंद्र ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली सरकार से इस बिल के संदर्भ में कई सवाल किए थे। केंद्र ने दिल्ली सरकार से इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का व्यवहारिक पक्ष जानना चाहा था।
वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश में दो तरह की राजनीति के फार्मूले हैं। पहला, ईमानदारी से सेवा करो जो हमारे एमएलए कर रहे हैं और दूसरा है जो अभी तक होता आया है। हम इसलिए सैलरी बड़ा रहे हैं कि उनको अबतक 12 हजार रुपये ही मिलते हैं, जो नाकाफी है। अगर कांग्रेस, भाजपा और एमएचए के पास कोई फॉर्मूला है तो वो हमें बता दें।
दिल्ली सरकार का यह था बिल प्रस्ताव
बता दें कि साल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी की सरकार ने विधानसभा में विधायकों के वेतन वृद्धि का विधेयक पेश किया था, जो पास भी हो गया था। बिल के पास होते ही विधायकों की सैलरी में 400 फीसदी का इजाफा हो गया, लेकिन केंद्र की मंजूरी के इंतजार में लटका पड़ा है। इसमें विधायकों की सैलरी 88 हजार से बढ़ाकर 2 लाख 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव रखा था।
इसके साथ विधायकों का यात्रा भत्ता भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर तीन लाख सालाना करने का प्रावधान किया। इस बिल के अनुसार, दिल्ली के विधायकों को बेसिक सैलरी- 50,000, परिवहन भत्ता- 30,000, कम्यूनिकेशन भत्ता- 10,000 और सचिवालय भत्ते के रूप में 70,000 रुपये प्रति महीने का प्रावधान था।
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