गंगा-यमुना रविवार को उफान की ओर बढ़ने लगीं। यमुना का जल किला घाट के पास पहुंच गया, जबकि गंगा रामघाट से ऊपर खड़ंजे तक आ गई। पहाड़ों पर बारिश के साथ ही हरिद्वार, नरौरा और कानपुर से इस दिन 7.51 लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़े जाने से जलस्तर में और इजाफा होने की आशंका है। लगातार जल स्तर बढ़ने से जहां कछार वाले इलाकों में बाढ़ की चिंता सताने लगी है। दोपहर बाद बख्शीबांध के स्लूज गेट को बंद कर दिया गया। मोरी बांध के गेट की निगरानी बढ़ा दी गई है। सभी 22 बाढ़ राहत चौकियों पर अलर्ट जारी करने के साथ ही तहसीलदार और उप जिलाधिकारियों को भी एहतियातन नजर रखने का निर्देश दिया गया है।
पहाड़ों पर बारिश से एमपी में केन उफना गई है। ललितपुर के माताटीला से लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से केन के जरिए भारी जलराशि यमुना में आ रही है। इससे यमुना के जल स्तर में वृद्धि होने लगी है। रविवार को यमुना का जलस्तर 79.150 मीटर रिकार्ड किया गया। इसी तरह फाफामऊ में गंगा 80. 350 मीटर और छतनाग में 78.590 मीटर पर पहुंच गई। गंगा यमुना में 1.50 सेंमी प्रतिघंटा की रफ्तार से वृद्धि हो रही है। इस बीच कानपुर बैराज से गंगा में 4,18,364 क्यूसेक, नरौरा से 240083 क्यूसेक और हरिद्वार से 93,158 क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया। इलाहाबाद में खतरे का निशान 84.730 मीटर है। ऐसे में फाफामऊ में गंगा खतरे के निशान से 4.380 मीटर नीचे बह रही है, जबकि यमुना का जलस्तर लाल निशान से 5.580 मीटर नीचे बह रही है। कहा जा रहा है कि यही हाल रहा तो कछारी इलाके की दर्जन भर से अधिक बस्तियां जल्द ही बाढ़ से घिर जाएंगी।