राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 34 लोगों की हत्या के दोषी चार लोगों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। खास बात ये है कि होम मिनिस्ट्री ने बिहार सरकार की सिफारिश पर इन लोगों की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी। लेकिन, दोनों सरकारों की सिफारिशों को दरकिनार कर राष्ट्रपति ने ये फैसला किया।

– 1992 में बिहार में भूमिहार जाति के 34 लोगों का नरसंहार किया गया था। ये चारों आरोपी इस मामले में दोषी पाए गए थे।
– चारों एमसीसी के सदस्य थे। इनके नाम कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेंद्र सिंह उर्फ धारू सिंह हैं।
– बिहार सरकार की सिफारिश पर होम मिनिस्ट्री ने भी 8 अगस्त 2016 को प्रेसिडेंट से इनकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी।
– राष्ट्रपति ने केस और मर्सी पिटीशन से जुड़े कई पहलुओं और ह्यूमन राइट्स कमीशन की सिफारिशों पर गौर करने के बाद यह फैसला किया।
– चारों आरोपियों को 2001 में बिहार की सेशन कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।
– आरोपियों की अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 2 के मुकाबले 1 वोट से सजा को बरकरार रखा।
– एनएचआरसी ने बताया था कि चाराें ने जुलाई 2007 में बिहार जेल एडमिनिस्ट्रेशन के जरिए दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी। याचिका ना तो गृह मंत्रालय ना ही राष्ट्रपति के ऑफिस पहुंची। ह्यूमन राइट्स कमीशन के दखल के बाद इसपर कार्रवाई आगे बढ़ सकी।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal