उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आगरा के बाह विधान सभा में 4 विधवा महिलाओं ने राजपरिवार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है.
ये चारों रोज सफेद साड़ी में सुबह से लेकर रात तक गांव-गांव घूमकर अन्याय और अपराधियों के खिलाफ वोट नहीं देने की अपील कर रही हैं. इनका लक्ष्य बस इतना है कि जिन लोगों ने इनके पति की हत्या की, उन्हें छोड़कर लोग किसी को भी वोट करें.
खास बात ये है कि बाह विधानसभा को भदावर राजघराने की परंपरागत सीट माना जाता है. भदावर राजघराने के महेंद्र रिपुदमन सिंह आगरा की बाह सीट से लगातार विधायक रहे. इसके बाद उनके पुत्र महेंद्र अरिदमन सिंह छह बार विधायक रहे.
उनकी पत्नी पक्षालिका सिंह ने पिछली बार 2012 में खैरागढ़ से भाग्य आजमाया लेकिन वह सफल नहीं हुईं. इस बार अरिदमन सिंह भाजपा का दामन थाम चुके हैं और चुनाव में उनकी पत्नी पक्षालिका राजघराने की अपनी मानी जाने वाली बाह सीट से ही भाजपा प्रत्याशी हैं.
बाह तहसील के मनौना गांव की रहने वाली सुमन, विमलेश, ललता देवी और गुनमाला गांव-गांव घूमकर लोगों से अपराध और अपराधियों के खिलाफ वोट देने की अपील कर रही हैं.
इन चारों महिलाओं का आरोप है कि दबंगों ने ने प्रधानी चुनाव में उनके पति की निर्मम हत्या कर दी थी. इन्हें राजा ने संरक्षण दिया था. पुलिस प्रशासन में उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई. अब वे खुद लोकतंत्र के इस बड़े मौके पर घर-घर जाकर इंसाफ की खातिर वोट देने की बात कह रही हैं.
पीड़ित ललता देवी के पति शिव नारायण की जहां गोली मार कर हत्या की गई थी, वहीं गुनमाला के पति रामप्रकाश, विमलेश के पति और सुमन के पति लक्ष्मी नारायन को टैंकर गाड़ी से कुचल कर मौत के घाट उतार दिया गया. हालांकि दोनों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि मौत से पहले दोनों को बड़ी ही बेरहमी से मारा-पीटा गया था. उन्होंने बताया कि शिव नारायण को गांव में सभी निर्विरोध प्रधान बना चाहते थे. लेकिन गांव के ही सुग्रीव और निहाल सिंह, जो राजा के आदमी हैं. उन्होंने मर्डर करवाया.
रोज अल सुबह ये चारों विधावाएं सफेद साड़ी में गांव-गांव घूमकर अन्याय के खिलाफ वोट मांगती फिर रही हैं. ये कह रही हैं कि राजा ने हमारे साथ ऐसा किया इसलिए हम वोट मांग रहे हैं. इनका कहना है कि क्षेत्र से कोई भी जीत जाए, लेकिन उनके परिवार के साथ जुल्म करने वाला जीतना नहीं चाहिए.
चारों पीड़ित महिलाओं की सुबह से लेकर देर रात तक परिवार पर जुल्म करने वाले लोगों को वोट नहीं देने की अपील कितनी रंग लाती है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन सफेद साड़ी में चारों महिलाओं की मार्मिक अपील राजनीतिक दलों के नेताओं को आइना जरूर दिखाने का काम कर रही है.
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