गत वर्षों में भारत मौसम के विनाशकारी घटनाओं का गवाह रहा है। चाहे वह पिछले साल केरल में आई प्रलयकारी बाढ़ हो या उत्तरी भारत में धूल भरी आंधी। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो 2040 तक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2040 तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा।
सबसे गर्म साल
2016 +0.72
2009 +0.56
2017 +0.55
2010 +0.54
2015 +0.42
2018 +0.41
(1981-2010 के बीच तापमान में औसम बदलाव डिग्री सेल्सियस में)
तापमान में बदलाव
+0.6 औसत तापमान में वार्षिक परिवर्तन
2004 के बाद से 15 में से 11 साल सबसे गर्म रहे
2009-18 सबसे गर्म दशक रिकॉर्ड किया गया
मौसम की मार (2018 में)
यूपी में सबसे अधिक 589 मौतें
माह वजह मौतें
अप्रैल-मई आंधी-तूफान 165
जून-सितंबर बाढ़-बारिश 158
3-13 जनवरी शीतलहर 135
2-6 मई धूलभरी आंधी 92
जून बिजली गिरने से 39
जानलेवा बारिश
223 की जान गई केरल में बाढ़-बारिश से 8-23 अगस्त के बीच
139 मरे महाराष्ट्र में बाढ़-बारिश से जून से सितंबर के दौरान
116 मौतें हुईं बाढ़-बारिश से पश्चिम बंगाल में जून से सितंबर में
77 की मौत हुई ओडिशा में 12-14 अक्तूबर के बीच बाढ़ बारिश से
75 की जान गई झारखंड में जून-जुलाई में आंधी-तूफान से
65 लोग मरे राजस्थान में अप्रैल-मई के दौरान धूलभरी आंधी से
पिछले दो दशकों में दिन और रात के तापमान में वृद्धि हुई है। यह चिंताजनक है।
-एम राजीवन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
वन आवरण और नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव, तापीय संयंत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी पर ध्यान केंद्रित कर ग्लोबल वार्मिंग से निजात पाया जा सकता है।