नई दिल्ली। केन्द्रीय जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने आज कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से अमल में लाने के एक नया कानून बनाया जाएगा। भारती ने यहां राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की छठी बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि नमामि गंगे नदी बोर्ड प्राधिकरण के सदस्य अवकाशप्राप्त न्यायाधीश गिरधर मालवीय के मार्गदशर्न में एक विशेषज्ञ समिति प्रस्तावित कानून के संबंध में सुझाव देगी। उन्होंने प्राधिकरण के सदस्य माधव चिताले की अध्यक्षता में गंगा नदी से गाद निकालने के बारे में एक समिति गठित करने की भी घोषणा की। बैठक में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्ष वर्धन, केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह, केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री महेश शर्मा, विभिन्न राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। भारती ने कहा कि गंगा नदी के पूरे विस्तार क्षेत्र में जल्दी ही कचरा हटाने वाली बीस मशीने भी लगाई जाएंगी जबकि पांच मशीनें इस काम में पहले ही लगाई गई हैं। उन्होंने गंगा को स्वच्छ बनाने और उसके आसपास के पर्यावरण को सुंदर बनाने के बारे में किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि इस उद्देश्य के लिए 1242 घाटों और 411 गांवों में नालों की पहचान की गयी है और वहां जल्दी ही काम शुरू हो जाएगा। भारती ने कहा कि गंगा के किनारे बसे 118 शहरों में से 59 शहरों के सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है और 27 रिपोर्ट तैयार की गयी हैं तथा 50 और रिपोर्ट इस महीने के अंत तक मिल जाएंगी। भारती ने कहा कि डॉल्फिन, मगरमच्छ और अन्य प्रजातियों के संरक्षण के उपाय सुझाने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को चुना गया है। इसके अलावा केन्द्रीय अंतर्देशीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान से विभिन्न तरह की मछलियों के संरक्षण के लिए कदम उठाने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि वन अनुसंधान संस्थान की सिफारिशों के आधार पर वर्तमान वित्त वर्ष में गंगा के 2700 हेक्टेयर तटवर्ती क्षेत्र में पौधरोपण किया जाएगा। भारती ने बताया कि गंगा के जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए 57 मैनुअल और पांच सतत निगरानी केन्द्र पहले से ही काम कर रहे हैं और इसके अलावा 113 और सतत निगरानी केन्द्र अगले साल मार्च तक स्थापित किए जाएंगे।