वाटर सप्लाई और सेनिटेशन विभाग की मंत्री रजिया सुल्ताना ने कहा है कि वाटर सप्लाई स्कीमों में केंद्र की ओर से प्रस्तावित नियमों के फेरबदल का पंजाब विरोध करेगा। उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों को पीने का पानी सप्लाई करने वाली स्कीम राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यू) के नियमों में फेरबदल करने के लिए खाका तैयार कर लिया है। यदि यह संशोधन किया जाता है, तो पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही स्कीमों को अधर में रोकना पड़ सकता है। पंजाब सरकार की ओर से केंद्र के इस जन विरोधी प्रस्तावित कदम का विरोध किया जाएगा।
अपने हिस्से की 50 फीसद राशि देने को तैयार नहीं केंद्र सरकार
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित कदम पर भावी रणनीति तैयार करने के लिए विभाग की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में पीने वाला पानी मुहैया करवाने के लिए फंड मुहैया करवाती है। इस स्कीम के अधीन केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से 50:50 फीसद की हिस्सेदारी डाल कर घर-घर पानी मुहैया करवाने की योजना चलाई जा रही है।
रोज प्रति व्यक्ति 40 एलपीसीडी पानी के उपभोग की शर्त पर सवाल
उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार अपने हिस्से का 50 फीसद फंड जारी करने के लिए तैयार है, लेकिन केंद्र सरकार अपने हिस्से का फंड जारी करने से बचना चाहती है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से अब इस स्कीम के अधीन राज्यों को फंड दिए जाने के लिए निश्चित नियमों में संशोधन करने के लिए खाका तैयार किया गया है।
रुक सकती हैं नौ हजार स्कीमें
नियमों में संशोधन के अनुसार अब सिर्फ उन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी सप्लाई करने के लिए ही फंड दिया जाएगा, जिस गांव में हर रोज प्रति व्यक्ति पानी का उपभोग 40 एलपीसीडी (लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन) से कम होगा। यदि केंद्र की ओर से एनआरडीडब्ल्यू प्रोग्राम में प्रस्तावित संशोधन कर दिया जाता है, तो पंजाब के लगभग नौ हजार गांवों में पीने वाले पानी की स्कीम को अधर में रोकना पड़ सकता है। इन गांवों में हर रोज प्रति व्यक्ति पानी का उपभोग चालीस लीटर से अधिक है।
रजिया सुल्ताना ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से 14 जून को नई दिल्ली में एनआरडीडब्ल्यू प्रोग्राम में प्रस्तावित संशोधन पर राज्यों का विचार जानने के लिए बैठक बुलाई है। इसमें यह फैसला होगा कि नियमों में बदलाव किया जा रहा है या नहीं।
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