नई दिल्ली। सतलज यमुना लिंक नहर के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पानी किसी एक प्रदेश तक सीमित नहीं होता ।
इसे राष्ट्रीय संपदा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अपने दो वर्षो के कार्यकाल को पारदर्शी और व्यवस्था परिवर्तन करने वाला बताया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सतलज यमुना लिंक नहर पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लागू करने के बारे में अपनी बात रखने के लिए राज्य का एक सर्वदलीय शिष्टमंडल 28 नवंबर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलेगा। मनोहर लाल ने यहां एक कार्यक्रम से इतर ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि पानी एक ऐसा विषय है जो किसी एक प्रदेश तक सीमित नहीं होता और इससे अनेक क्षेत्र जुडे होते हैं।
चाहे दिल्ली हो या हरियाणा, पंजाब हो या दिल्ली, उत्तरप्रदेश हो या हरियाणा, हिमाचल प्रदेश हो। उन्हांंेंने कहा, ‘‘पानी को राष्ट्रीय संपदा बनाया जाना चाहिए और जिन जिन प्रदेशों की जो जरुरतें हों। उनकी आवश्यकता की पूर्ति की जानी चाहिये।” दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी के मुद्दे के बारे में एक सवाल के जवाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की पानी की आश्वयकता आज वैसी नहीं रह गई है, जैसी पहले थी।
दिल्ली की आबादी काफी बढ गई है। अब दिल्ली को पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अन्य प्रदेशों से जुडना चाहिए, केवल हरियाणा पर पानी की निर्भरता से कठिनाइयां बढेंगी। मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा की कई बार जाडे और गर्मियों में परेशानी बढ जाती है। ‘‘पानी की आपूर्ति के लिए प्रदेशों को आगे आना चाहिए।
चाहे उत्तर प्रदेश हो, हिमाचल प्रदेश हो या पंजाब।” प्रदेश में भाजपा सरकार के दो वर्षो के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘दो वर्षो के कामकाज से हमें इस बात की संतुष्टि है कि हमने पारदर्शी शासन दिया है। हम जो करते हैं, वही बताते हैं, नहीं कर सकने वाली बात कहते ही नहीं हैं।
” हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पिछले दो वर्षो में प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन करने का काम किया है। आज एक क्लिक में 32 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया और 95 प्रतिशत शिक्षक इससे संतुष्ट हैं। हमने नौकरियों में साक्षात्कार में भ्रष्टाचार को खत्म किया है।
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