सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने रूस के विमान को मार गिराए जाने के लिए इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया है. दरअसल, एक इस्राइली मिसाइल के हमले के दौरान यह विमान सीरिया की फायरिंग की चपेट में आ गया था. इस हादसे पर रूसी समकक्ष को लिखे एक पत्र में संवेदना प्रकट करते हुए सीरियाई नेता ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना इस्राइली अहंकार और दुष्टता का नतीजा है.’’ गौरतलब है कि सोमवार को हुए इस हादसे में रूसी विमान में सवार सभी 15 लोग मारे गये थे
इस पत्र को आधिकारिक सना एजेंसी ने प्रकाशित किया है. उन्होंने पत्र में कहा है, ‘‘हमे इस बात का पक्का यकीन है कि यह दुखद घटना ना तो आपको, ना ही हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने से डिगाएगा.’’
गौरतलब है कि इस रूसी विमान को सीरिया की रूस निर्मित एस – 200 वायु रक्षा प्रणाली ने मार गिराया था. रूसी सेना ने इस्राइली पायलटों पर रूसी विमान का इस्तेमाल सुरक्षा कवच के रूप में करने का आरोप लगाया है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस घटना के बाद इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भविष्य में इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी दी है. वहीं, नेतन्याहू ने मंगलवार को पुतिन को फोन कर शोक प्रकट किया और जांच में मॉस्को का सहयोग करने की पेशकश की.
पिछले सात वर्षो से सीरिया में चल रहे संघर्ष केवल सीरिया की वर्तमान सरकार को हटाने और बनाये रखने की लड़ाई केवल नहीं रही है. फिलवक्त इस लड़ाई में पूरी दुनिया के देश अलग-अलग मोर्चो पर पक्ष-विपक्ष के साथ हीं कूटनीतिक कारणों से समर्थन दे रहे हैं. इसके अलावा अंतराष्ट्रीय शक्तियों के बीच की आपस की चल रही लड़ाई का भी सीरिया गवाह बन रहा है. फिलवक्त सीरिया के सत्ता में बने रहने में बशर अल अशद को पूरी तरह से ईरान और रूस साथ दे रहें हैं. ईरान का बशर को समर्थन देने के पीछे धार्मिक आधार पर शिया पंथ की नुमाइंदगी को बचाये रखना है तो रूस के लिए पश्चिम में अपनी ताकत को भी दिखाना हैं.
फिलवक्त इजराइल का मानना हैं की सीरिया में अगर ईरान का प्रभाव घटता है तो इजराइल को इसका कूटनीतिक स्तर पर निश्चित फायदा होगा. इजराइल सीरिया में बशर अल असद सरकार के पक्ष में लड़ रही हिज़्बुल्लाह के संचार,प्रभाव और सहयोग को कम करना चाहता हैं. साथ हीं इस पर पूरी तरह रोकथाम भी. साथ हीं इजराइल चाहता हैं की उसके कब्जे वाली गोलन हाइट्स इलाके से ईरान समर्थित लड़ाके दूर रहें. वहीं इजराइल अमेरिका को आतंकवाद के विरुद्ध चल रही वैश्विक लड़ाई में अमेरिका को साथ रखने के लिए भी गोलबंद करेगा .